राज्य सरकार ने मौसम और मिट्टी की उत्पादकता को देखते हुए 23
जिलों में खास खेती योजना को हरी झंडी दी है. रोहतास की आवोहवा को देखते
हुए टमाटर की खेती को फोकस किया गया है. समस्तीपुर और अररिया में हरी
मिर्च, तो पूर्वी चंपारण में लहसून की खेती को बढ़ावा मिलेगा.
शेखपुरा और बक्सर में प्याज, भोजपुर में छिमी, नालंदा में आलू, वैशाली के इलाके में मधु, भागलपुर व दरभंगा, पटना और सहरसा में आम को बढ़ावा मिलेगा. जबकि, किशनगंज में अनानास, शाही लीची के लिए समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और शिवहर को चुना गया है. कटिहार और खगड़िया में केले की खेती होगी. गया में पपीता और कैमूर में अमरूद की खेती होगी.
किसानों की आमदनी बढ़ाने की कवायद
सरकार का फोकस किसानों की आमदनी बढ़ाने पर है. चयनित 23 जिलों में उस जिले की परंपरागत फसल से अलग है. कलस्टर के माध्यम से यहां खेती होगी. कृषि विभाग ने इसके लिए पांच साल के लिए बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम बनाया है. चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 से साल 2023-24 तक के लिए बनी इस योजना में 16 करोड़ 67 लाख से अधिक खर्च होंगे.
अकेले 2019-20 में इस योजना में 12.64 करोड़ से अधिक खर्च किये जायेंगे. इसके तहत हर जिले में इसके लिए कम से कम 50- 50 एकड़ का कलस्टर बनाया जायेगा. योजना से बेरोजगार महिला और पुरुषों को जोड़ा जायेगा. कलस्टर में किसानों का समूह भी बनेगा. सभी समूह पंजीकृत होगा.
उत्पादों की प्रोसेसिंग और पैकिंग के लिए मिलेगा प्रशिक्षण
समूह के किसानों को उत्पादों की प्रोसेसिंग और पैकिंग के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा. सभी कलस्टर में आवश्यक सुविधाओं से युक्त एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनेगा. ताकि, उत्पाद को बाजार की डिमांड के अनुसार उसे तैयार किया जा सके. समूह खेती करने के साथ-साथ जूस, जैम, जैली, पाउडर आदि का भी निर्माण होगा, ताकि किसानों को अधिक से अधिक आमदनी हो सके.
उत्पाद को अधिक समय तक रखने के लिए हर समूह में सौर ऊर्जा से चलने वाला एक कोल्ड स्टोरेज चैंबर भी बनेगा. कृषि मंत्री डाॅ प्रेम कुमार कहते हैं कि इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. लोगों को रोजगार मिलेगा. समूह में खेती होने से लागत में भी कमी आयेगी.