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जापान खरीदेगा जशपुर का काजू

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बागवानी में अग्रणी छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिले की पहचान अब देश की सीमा के पार जा पहुंची है। जशपुर जिले में पैदा होने वाले काजू का अब जापान की एक कंपनी सरताज ने खरीदने का विधिवत एमओयू किया है। रायपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रता प्रदर्शनी में जशपुर जिले में काजू के उत्पादन एवं प्रोसेसिंग के लिए गठित सहयोग ग्रीन प्लस आदिवासी सहकारी समिति दुलदुला से जापान की सरताज कंपनी ने प्रति वर्ष 60 क्विंटल काजू क्रय करने का अनुबंध किया है।

इसी तरह जशपुर के बागीचा विकासखंड के पाठ इलाके में और मनोरा में बहुतायत रूप से पैदा होने वाली नाशपाती भी अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में धूम मचाएगी। किसान नेटर्वक गुरुग्राम ने जशपुर में होने वाली नाशपाती को क्रय करने के लिए हरित क्रांति आदिवासी सहकारी समिति बागीचा से एमओयू किया है। यह कंपनी जशपुर से हर साल 10 हजार क्विंटल नाशपाती खरीदेगी और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचेगी।

रायपुर के अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता प्रदर्शनी में काजू और नाशपाती को क्रय करने के ओएमयू के दौरान राज्य के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे तथा पीएचई एवं ग्रामोद्योग मंत्री रुद्र गुरु भी मौजूद थे। उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन जशपुर और किसानों को बधाई दी है। जापान की सरताज कंपनी से अनुबंध के लिए सहयोग ग्रीन प्लस आदिवासी सहकारी समिति दुलदुला के प्रतिनिधि राजेश गुप्ता, सहायक कलेक्टर रवि मित्तल, सहायक संचालक भदौरिया एवं अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।

काजू के छिलके से लकड़ी का प्राइमर किया जाएगा तैयार

कलेक्टर निलश कुमार महादेव क्षीरसागर ने काजू की प्रोसेसिंग के बाद बचने वाले छिलके से वुडन प्राइमर (लकड़ी का प्राइमर) भी तैयार करने की कवायद में जुट गए हैं। कलेक्टर ने बताया कि चार किलो काजू की प्रोसेसिंग से एक किलो काजू निकलता है। शेष तीन किलो छिलका अभी किसानों के लिए अनुपयोगी है। इससे वुडन फर्नीचर, दरवाजे, खिड़की आदि के लिए प्राइमर का निर्माण किए जाने की तकनीकी के लिए भोपाल की सीआइएआर और त्रिवेंद्रम की कम्पनी आइसीआइआर से अनुबंध किए जाने की पहल शुरू कर दी गई है। इसका प्लांट भी जशपुर में लगाएंगे। उससे किसानों को और फायदा मिलेगा।