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रतन टाटा ने बताया अपने आप को एक्‍सीडेंटल स्‍टार्टअप इन्‍वेस्‍टर, 12 से ज्‍यादा कंपनियों में किया निवेश…

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दर्जनभर से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करने वाले उद्योगपति और टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा का कहना है कि वह एक एक्‍सीडेंटल स्टार्टअप निवेशक हैं। निजी तौर पर किए गए इन निवेशों को वह एक दुर्घटना करार देते हैं। टेक्‍नोलॉजी से जुड़ी नए दौर की स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करने वाले टाटा सबसे सफल निवेशकों में से एक हैं।

एप पर टैक्सी बुकिंग सेवा देने वाली ओला हो या डिजिटल भुगतान क्षेत्र की पेटीएम, टाटा दोनों कंपनियों में 2015 से निवेश किए हुए हैं और इनमें निवेश करने वाले शुरुआती निवेशक भी हैं। स्टार्टअप कंपनियों में उन्होंने अपना सबसे पहला निवेश ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील में किया था। पेटीएम पर मालिकाना हक रखने वाली वन97 कम्युनिकेशंस में भी उनकी छोटी हिस्सेदारी है। वह कंपनी में सलाहकार भी हैं।

चिराटे वेंचर्स के चेयरमैन सुधीर सेठी के साथ एक बातचीत में रतन टाटा ने कहा कि मेरा स्टार्टअप निवेशक बन जाना एक दुर्घटना (बिना सोच-विचार के शुरुआत) की तरह है। जब मैं टाटा समूह के साथ काम कर रहा था, तब भी स्टार्टअप क्षेत्र मुझे हमेशा रोमांचित करता था। लेकिन कहीं ना कहीं इससे दूरी बनी रही क्योंकि यह टाटा समूह के हितों से टकराव था।

उन्होंने कहा कि लेकिन जब मैं सेवानिवृत्त हुआ तो मैं टाटा समूह की जिम्मेदारी से मुक्त हो गया। इसके बाद मैंने अपनी खुद की जेब से मुझे आकर्षक दिखने वाली कंपनियों में छोटा-छोटा निवेश करना शुरू किया। दो से तीन साल इस क्षेत्र में रहने के बाद यह मेरे लिए एक सीखने वाला अनुभव रहा। यह क्षेत्र बहुत सक्रिय है और सबसे अच्छे दिमाग वाले लोग इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

रतन टाटा ने फिटनेस क्षेत्र की क्योरफिट, मौसम की जानकारी देने वाली क्लाइमासेल, ऑनलाइन वाहन मंच कार देखो, ऑनलाइन फर्नीचर कंपनी अरबन लैडर, ऑनलाइन चश्मा स्टोर लेंसकार्ट, किराये पर घर उपलब्ध कराने वाली नेस्ट अवे और पालतू जानवरों की देखभाल वाले ऑनलाइन मंच डॉगस्पॉट जैसी स्टार्टअप कंपनियों में निवेश किया है। डॉगस्पॉट जैसी कंपनी में रतन टाटा का निवेश चौंकाने वाला भी नहीं है। उन्हें खुद कैनी प्रजाति के कुत्तों का शौक है और उनके पास ऐसे कई कुत्ते हैं।

टाटा यह सारे निवेश अपनी निजी निवेशक कंपनी आरएनटी एसोसिएट्स के माध्यम से करते हैं। कंपनियों के अपने चुनाव के बारे में टाटा ने कहा कि वह किसी कंपनी में निवेश करने का निर्णय अपने सहज-ज्ञान के आधार पर करते हैं। किसी कंपनी के प्रवर्तक के अंदर की आग (कंपनी के प्रति उसकी लगन), उसका विचार और उनके द्वारा पेश किए जाने वाले समाधान उनके निर्णय में बड़ी भूमिका अदा करते हैं।