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छत्तीसगढ़ : हर रोज दीपका खदान से निकलने लगा 35 हजार टन कोयला

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दीपका खदान के अपर कुसमुंडा क्षेत्र में कोयला उत्खनन के काम में तेजी आने लगी है। प्रतिदिन लगभग 35 हजार टन कोयला उत्खनन किया जा रहा है। इसमें छह रैक कोयला एनटीपीसी सीपत प्लांट के लिए डिस्पैच किया गया।

लीलागर नदी का पानी खदान में भरने के कारण एसईसीएल की दीपका खदान में 29 सितंबर से उत्पादन ठप हो गया था। अब खदान में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी है। प्रबंधन खदान के अपर कुसमुंडा क्षेत्र में उच्च क्षमता के सावेल, डंपर समेत अन्य मशीन लगाकर काम करा रहा है। इसके साथ ही कोयला पेंच सामने आने पर प्रबंधन ने कोयला निकालना भी आरंभ कर दिया है। बताया जा रहा है कि एनटीपीसी सीपत परियोजना को दीपका क्षेत्र से वर्तमान में प्रतिदिन छह रैक कोयला डिस्पैच किया जा रहा है। प्रबंधन ने कर्मियों को धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाने कहा गया है। इससे वर्तमान में 35 हजार टन से भी ज्यादा कोयला निकल रहा है। एनटीपीसी सीपत को कोयला देने के साथ डीओ के माध्यम से वाशरी में भी सप्लाई किया जा रहा है। प्रबंधन को उम्मीद है कि जल्द ही खदान से निर्धारित क्षमता के मुताबिक कोयला निकालना शुरू हो जाएगा। हालांकि खदान के निचले हिस्से से कोयला अभी नहीं निकलेगा, पर अन्य फेस से उपलब्ध कोयला को ज्यादा मात्रा में निकाला जाएगा। जानकारों का कहना है कि कोल प्रबंधन जल्द ही कोयला उत्खनन बढ़ाने निजी कंपनी को साइड सौंपने जुट गई है। उधर पुराना मलगांव एरिया में सीधे कोयला निकालने की कवायद प्रबंधन ने शुरू कर दी है। इस स्थल से तीन रैक कोयला प्रतिदिन मिलने की उम्मीद है।

सात पंप से निकाल रहे पानी

खदान में पंप लगाकर प्रबंधन ने पानी निकालने का काम शुरू कर दिया है। वर्तमान में सात पंप से पानी निकल रहा है और इस पानी को लीलागर नदी में ही छोड़ा जा रहा है। इससे नदी में फिलहाल जल स्तर बढ़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि पंप में खराबी आने से पानी निकालने में कई बार दिक्कत आ रही है। सुधार कार्य के बाद पंप को पुनः चालू कर पानी निकाला जा रहा है। इसके साथ ही बिलासपुर से आला अफसरों की टीम भी लगातार दौरा कर खदान का जायजा ले रही है।

अभी नहीं निकली हैं डूबी मशीन

खदान में दो सावेल समेत अन्य मशीन भी पानी में डूबी हुई है। इन मशीनों को निकालने की कवायद प्रबंधन कर रहा है, पर पानी खाली हुए बगैर मशीन निकलना मुश्किल है। बताया जा रहा है कि एक 42 क्यूबिक सावेल मशीन आधी डूबी हुई है। पानी से निकलने के बाद इस मशीन को प्राथमिकता के तौर पर आवश्यक मेंटेनेंस कर पुनः चालू किया जाएगा, पर पूरी तरह डूबी दो मशीनों को चालू करना मुश्किल नजर आ रहा है। प्रबंधन का कहना है कि ये मशीन काफी पुरानी हो चुकी है और इन्हें बंद की योजना भी बन रही थी।