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छत्तीसगढ़ – आचार्य पुत्र के हाथों भगवती जिनदीक्षा लेगी मां…

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दिगंबर जैन समुदाय में सबसे बड़ी मानी जाने वाली जिनदीक्षा रविवार को एक मां अपने बेटे से ग्रहण करेंगी। दुर्ग समेत देशभर से पहुंचे भक्त इसके साक्षी बनेंगे। दुर्ग में विराजमान भावलिंगी संत श्रमणाचार्य विमर्श सागर महाराज पहाड़ी गांव, जिला टीकमगढ़ मध्यप्रदेश निवासी 71 वर्षीय भगवती जैन को दीक्षा दिलाएंगे, जो उनकी सांसारिक माता भी हैं। पूरे देश में ऐसा दूसरी बार हो रहा जब एक मां अपने बेटे से दीक्षा लेकर सांसारिक जीवन का त्याग करेंगी।

इससे पहले मुनि विमर्श सागर के ही गुरु विराग सागर जी महाराज के हाथों 10 वर्ष पहले उनकी माता ने दीक्षा ग्रहण की थी। भगवती दीदी के अनुसार पुत्र के मुनि जीवन में प्रवेश के साथ ही उनके मन में वैराग्य का भाव आ गया था। उन्होंने शुरुआत में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन शुरू कर दिया। इसके बाद लगभग 25 वर्षों तक जिनागम पंथ के कई नियम धारण किए। वर्तमान में वे पंथ की 11 में से 7 प्रतिमाओं का व्रत धारण कर चुकी हैं। दो दिन बाद वे साध्वी जीवन में प्रवेश करेंगी। शनिवार को उनकी बिनौली यात्रा निकलेगी। केश लुंचन की क्रिया भी होगी। 


दीक्षार्थियों के भगवती जिनदीक्षा महोत्सव की शुरुआत शुक्रवार को दुर्ग में शुरू हुई। ब्रह्मचारी अंकित, ब्रह्मचारिणी भगवती दीदी व सुमन दीदी ने मंडल पर अर्घ्य चढ़ाकर संयम पथ पर अडिग रहने का संकल्प लिया। शेष|पेज 9


 दोपहर के सत्र में अध्यात्मिक कवि सम्मेलन हुआ। रात में गुरु भक्ति आनंद यात्रा के बाद दीक्षार्थियों की मेहंदी रस्म हुई। इससे पहले मुनि विमर्श सागर के ससंघ सानिध्य में जैन समाज के लोग कंधों पर भगवान शांतिनाथ के पवित्र जिनविंब को पालकी पर लेकर दिगंबर जैन मंदिर से निकले। गंजपारा मैदान में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य उपाध्याय, साधु धर्म प्रभावना रेजिमेंट्स ने ध्वज वंदन परेड किया। पूरे शहर के रास्तों पर भक्तों ने आरती व गुरु चरणों का प्रक्षालन किया।

भगवती दीदी समेत तीन लोग लेंगे जिनदीक्षा : भगवती दीदी के साथ मप्र के अशोकर निवासी 25 वर्षीय अंकित जैन, एटा, यूपी की 50 वर्ष सुमन जैन भी जिनदीक्षा ग्रहण करेंगे। दीक्षार्थी अंकित जैन के अनुसार वे मुनि जीवन से प्रेरित थे। कुछ वर्ष पूर्व उनके मन में वैराग्य का भाव आया। चूंकि उनके बड़े भाई भी दीक्षा ले चुके हैं, इसलिए उन्होंने भी वैराग्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। सुमन दीदी के पति व पुत्र पहले ही मुनि दीक्षा ग्रहण कर संघ में शामिल हैं। अब वे भी वैराग्य जीवन की ओर आगे बढ़ेंगी।