सीएम भूपेश बघेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को फिर एक बार पत्र लिखा है. इस खत में भी मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी के लिए सहमति मांगी है. साथ ही एफसीआई में 32 लाख मैट्रिक टन चावल उपार्जन की अनुमति भी मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के सामने रखी है. बता दें कि 15 नवंबर से राज्य सरकार खरीदेगी धान. पत्र में सीएम बघेल ने खरीफ वर्ष 2019-20 में एफसीआई में 32 लाख मेट्रिक टन चावल उपार्जन की अनुमति देने की मांग रखी है. तो वहीं पहले की तरह एमओयू (MoU) की शर्तें को शिथिल करने का केंद्र से आग्रह किया है. साथ ही सीएम बघेल ने पीएम मोदी से मुलाकात का समय भी मांगा है.
पत्र में लिखी ये बातें
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर 32 लाख मेट्रिक टन चावल केन्द्रीय पूल में लेने का आग्रह किया है. सीएम भूपेश बघेल ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं करती, तो राज्य को साल 2017 2018 की तरह ही उपार्जन के एमओयू की शर्तों में शिथिलता कर दिया जाए ताकि प्रदेश के किसानों को उनकी उपज का समूचित मूल्य दिलाया जा सके. सीएम भूपेश बघेल ने अपने खत में लिखा है कि प्रदेश में विकेन्द्रीकृत उपार्जन योजना तहत हर साल प्रतिवर्ष वृहद मात्रा में राज्य की आवश्यकताओं और केन्द्रीय पूल के लिए धान का उपार्जन किया जाता है. पत्र में फिर एक बार सीएम बघेल ने केंद्र से धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि कर 2500 प्रति क्विंटल किए जाने और इस साल केन्द्रीय पूल में 32 लाख मेट्रिक टन चावल लेने का आग्रह फिर केंद्र सरकार से किया है. बता दें कि धान खरीदी को लेकर सीएम बघेल ने 5 जुलाई, 25 अक्टूबर और 30 अक्टूबर को भी केंद्र सरकार को पत्र लिखा था.
केंद्र ने कही थी ये बात
बता दें कि राज्य सरकार ने इस बार 87 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है. पिछले साल तक केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से अरवा और उसना चावल मिलाकर 24 लाख मीट्रिक टन चावल खरीद था, जिसे इस साल राज्य सरकार ने बढ़ाकर 32 लाख टन करने की मांग कर रही थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने खरीदी का कोटा बढ़ाने की बजाय खरीदी पर ही रोक लगा दी थी. धान खरीदी शुरू होने से पहले ही केन्द्र ने चिट्ठी लिखकर राज्य सरकार से कहा था कि अगर राज्य सरकार इसी तरह किसानों को बोनस देगी तो वो धान नहीं खरीदेगी.