तेलंगाना की राजाधानी हैदराबाद में 27 साल की एक पशु चिकित्सक के साथ कथित तौर पर हुए यौन उत्पीड़न के बाद जिंदा जलाने की घटना से पूरे देश में उबाल है। अब तक इस मामले में जहां पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं बागपत में 13 सितंबर को एक तीन वर्षीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म मामले में एडीजे प्रथम विशेष अदालत ने शीघ्र फैसला सुनाते हुए देश के सामने मिसाल पेश की है। कोर्ट ने अभियुक्त को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बागपत जनपद में बच्ची से हुए दुष्कर्म मामले में एडीजे प्रथम अदाल में लगातार पांच दिन से सुनवाई चल रही थी। अदालत में कुल आठ गवाह पेश किए गए। इनमें पीड़ित बच्ची भी शामिल थी। शनिवार को अदालत ने जब बच्ची के कोर्ट में बयान लिए तो बच्ची के बयान सुनकर अदालत में मौजूद हर शख्स का दिल भर आया। जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
छपरौली थाना क्षेत्र के एक गांव में 13 सितंबर को तीन साल की बच्ची को उसका तहेरा भाई नमकीन दिलाने के बहाने घर से ले गया था। युवक ने जंगल में ले जाकर बच्ची से दुष्कर्म किया था। पुलिस ने आरोपी को दिल्ली से 29 अक्तूबर को गिरफ्तार किया और 30 अक्तूबर को जेल भेजा था।
विवेचक छपरौली थानाध्यक्ष दिनेश कुमार चिकारा ने 15 नवंबर को अदालत में चार्जशीट दाखिल की। एडीजे प्रथम विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम शैलेंद्र पांडेय की कोर्ट में 25 नवंबर को आरोप तय किए।
डीजीसी सुनील कुमार और एडीजीसी राजीव कुमार ने बताया कि केस की रोजाना सुनवाई हुई। 29 नवंबर को पांच दिन में केस की सुनवाई पूरी हो गई। शनिवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी युवक को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
शनिवार को अदालत में पीड़ित बच्ची के जब बयान लिए गए, उसने रोते हुए कहा हां अंकल, यही है वो गंदा आदमी। बच्ची इतना कहते ही बिलख पड़ी। इस दौरान कोर्ट में मौजूद हर शख्स की आंखों में आंसू आ गए। हालांकि इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस ने पीड़ित परिवार को पूरी सुरक्षा दी। एसपी प्रताप गोपेंद्र यादव ने खुद इस मामले की मॉनिटरिंग की।
मां बोली, फांसी पर चढ़ा दो तब सुकून
छपरौली थाना क्षेत्र के जिस गांव में वारदात हुई, उसके ग्रामीण भी बेहद दुखी हैं। ग्रामीण बताते हैं कि उस दिन मासूम घर में खिलौने से खेल रही थी। मां-बाप घर में चिनाई के कार्य में व्यस्त थे। तभी 25 साल का आरोपी चचेरा भाई पहुंचा। कुछ देर घर पर रहा और बच्ची को अपने साथ ले जाकर दुष्कर्म किया। बच्ची की हालत बहुत खराब हो गई थी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब जाकर उसकी जान बची।
पीड़िता की मां बताती हैं कि जब डॉक्टर ने उन्हें बेटी के साथ गलत काम होने की बात बताई, तो उन्हें एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ। बच्ची नर्सरी में पढ़ती है। उसके स्कूल की शिक्षिकाओं ने भी उसे संभालने में मदद की। आंखों में आंसू लिए मां बोलीं कि ऐसे दरिंदे को फांसी की सजा होनी चाहिए, तभी उन्हें सुकून मिलेगा।