लंदन से समंदर के रास्ते एक जहाज़ निकला. नाम है वास्को डि गामा. जहाज़ पर 828 यात्री सवार हैं. सबको दुनिया का एक चक्कर काटना है. विशाल धरती की गोलाई नापने के रोमांच से भरे सभी यात्रियों के लिए ये यात्रा इतनी बेहतरीन गुज़र रही थी कि वो ख़ुद के भीतर कोलंबस और वास्को डि गामा की झलक देखने लगे.
जहाज़ भी नियत समय से नियत जगहों से गुज़र रहा था, लेकिन पृथ्वी जितनी बड़ी है, तैयारी उतनी थी नहीं. नतीजा ये हुआ है कि ऑस्ट्रेलिया पहुंचने से पहले ही जहाज़ का ईंधन ख़त्म हो गया. प्रशांत महासागर पार करने के बाद समंदर के बीचो-बीच बंद हालत में ये जहाज़ अटक गया. एडिलेड से चंद किलोमीटर दूर सेंट विंसेंट की खाड़ी में मझधार में खड़े जहाज़ को तट तक पहुंचने के लिए काफ़ी जूझना पड़ा. यात्रियों को कई बार लगा कि ये उनकी ज़िंदगी का आख़िरी दिन है. जहाज़ बार-बार पानी में हिचकोले खा रहा था. लग रहा था कि अब डूबा कि तब डूबा.
हालत ये हो गई सेंट विंसेंट की खाड़ी में जहाज़ पर सवार यात्रियों को खाने लायक़ ना तो पर्याप्त खाना था और ना ही पीने के लिए पानी. जहाज़ की ऊपरी लाइट तो जल रही थी, लेकिन ट्वायलेट काम नहीं कर रहा था. ऐसे में धरती का चक्कर काटने का अब तक का रोमांच डर और घबराहट में तब्दील हो गया.
यहीं आकर फंस गया जहाज़
सुबह के 5.45 बजे कैप्टन ने इंजन में कुछ अप्रत्याशित हरकत नोट की. इसके बाद कैप्टन ने फौरन बिजली काटने का आदेश जारी कर दिया. तब से जहाज़ के ज़्यादातर हिस्सों से बिजली भी गुल है. इंजीनियर आनन-फ़ानन में इंजन की मरम्मत करने पहुंचे. काफी मशक्कत के बाद जाकर इंजन ठीक हुआ और जैसे-तैसे करके जहाज़ को एडिलेट तक सुबह के वक़्त पहुंचाया गया.
तट पर पहुंचने के बाद यात्रियों की जान में जान आई. जहाज़ पर सवार इयान ने डवांडोल हो रहे जहाज़ को ख़ौफ़नाक करार दिया. उन्होंने कहा, “हम हिचकोले खा रहे थे. ना बिजली थी, ना पानी, ना हम ट्वायलेट जा सकते थे, ना खाना पका सकते थे. हम कुछ भी नहीं कर सकते थे.”
उन्होंने आगे बताया, “कॉरिडोर में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था थी, लेकिन वो वहीं तक मित थी. बाक़ी हर जगह घुप्प अंधेरा था. ये एक भूतिया जहाज़ बन चुका था.” इयान अपनी पत्नी के साथ जब इस जहाज़ पर सवार हुए तो दोनों को लगा कि ज़िंदगी की सबसे रोमांचक यात्रा पर वो निकले हैं. लेकिन, अब एडिलेट पहुंचने तक के रास्ते को याद करके उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
क्रूज एंड मैरिटाइम वोयाज़ नामक कंपनी का ये जहाज़ अक्टूबर में लंदन से रवाना हुआ था. पूरा प्रशांत महासागर पार कर ये न्यूज़ीलैंड के बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंचा है. तय समय के मुताबिक़ इस जहाज़ को स्वेज़ नहर और भूमध्यसागर पार कर मार्च महीने में वापस लंदन पहुंचना है.