गर्मी की दस्तक और राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए निर्देश के बाद अब खेतों में पराली (paraalee) और फसलों के अवशेष जलाने पर पूर्ण पाबंदी (Restriction) लगाने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं. किसानों को जागरुक करने के साथ-साथ उनको जुर्माने (Penalty) की चेतावनी देने का सिलसिला भी शुरू कर दिया गया है.
कोटा जिले के कनवास उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने क्षेत्र में फसलों के अवशेष जलाने वालों की निगरानी रखने के निर्देश जारी करते हुये किसानों को जागरुक करने के आदेश दिये हैं. आदेशों का उल्लंघन करने वाले काश्तकारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गये हैं. उपखण्ड अधिकारी ने
तहसीलदार, विकास अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षकों, ग्राम विकास अधिकारियों और पटवारियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को फसल के अवशेष को नहीं जलाने के लिये समझायें. उसके बाद भी निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई करें.
जंगली जानवरों और पशु-पक्षियों को नुकसान पहुंचता है
उपखंड अधिकारी डागा ने बताया कि कनवास में फायर ब्रिगेड की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. आगजनी जैसी घटना होने पर अन्य स्थानों से फायर ब्रिगेड की व्यवस्था की जाती है. फसल अवशेष जलाने से पड़ोसी काश्तकार की फसल को भी आगजनी का खतरा हो सकता है. वहीं पर्यावरण प्रदूषित होता है. सभी जंगली जानवरों और पशु-पक्षियों को नुकसान पहुंचता है. फसल के अवशेष जलाने पर वायु प्रदुषण एवं रोकथाम अधिनियम अधिनियम-1981 की धारा 19 (5) के तहत जुर्माने का प्रावधान है.
ये है जुर्माने का प्रावधान
डागा ने बताया कि 2 एकड़ तक अवशेष जलाने पर 2500 रुपये जुर्माना और 2 से 5 एकड़ तक अवशेष जलाने पर 5000 रुपये के जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है. निरीक्षण के दौरान मामोर निवासी किसान नंदकिशोर को सरसों की फसल के अवशेष जलाने का प्रयास करते हुए पाया गया था. इस पर प्रारंभिक स्तर पर लगी आग बुझाई गई. किसान से शपथ-पत्र लेकर भविष्य में कभी फसल अवशेष को नहीं जलाने के लिए पाबंद किया गया है. फसल अवशेष का अन्य उपयोग (खाद इत्यादि) करने के लिए कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाकर प्रेरित किया जाता है.