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जवान को छोड़ने के बाद ग्रामीणों को अगवा किया:​​​​​​​बीजापुर में मितानिन मास्टर ट्रेनर सहित 3 महिलाओं का नक्सलियों ने अपहरण किया; अफसर बोले- कन्फर्म कर रहे

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में मितानिन ट्रेनर सहित 3 महिलाओं का नक्सलियों ने गुरुवार देर रात अपहरण कर लिया है। महिलाओं को बांधकर नक्सली अपने साथ ले गए हैं। CMHO ने मितानिन ट्रेनर को अगवा किए जाने की पुष्टि की है। वहीं बीजापुर के SP कमल लोचन कश्यप का कहा है कि उन्हें जानकारी मिली है। इस घटना को लेकर कन्फर्म कर रहे हैं।

मामला गंगालूर क्षेत्र के कमकानार का है। बताया जा रहा है कि देर रात करीब 1 बजे नक्सलियों ने तीनों महिलाओं का अपहरण किया है। नक्सली अपने साथ मितानिन मास्टर ट्रेनर शारदा के हाथ बांधकर ले गए हैं। वहीं, दोनों अन्य महिलाओं के नाम अभी सामने नहीं आ सके हैं।

3 अप्रैल को अगवा हुए थे जवान राकेश्वर सिंह

3 अप्रैल को जोनागुड़ा में फोर्स और नक्सलियों की मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए CRPF जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने 8 अप्रैल को छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि राकेश्वर इस समय तर्रेम में 168वीं बटालियन के कैंप में है। वहां उनका मेडिकल चेकअप किया जा रहा है। नक्सलियों ने कहा है कि राकेश्वर को घर भेजें और घरवालों के साथ उनका एक फोटो हमें भेजा जाए। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने फोन कर राकेश्वर सिंह से बात की है।

पुलिस ने समाजसेवियों की मदद ली थी

बस्तर रेंज के IG सुंदरराज पी. ने बयान जारी कर कहा कि जवान राकेश्वर सिंह की वापसी के लिए सर्चिंग अभियान के साथ-साथ इलाके के सामाजिक संगठन/जनप्रतिनिधि और पत्रकार साथियों की भी मदद ली गई थी। इस दौरान CPI माओवादी के दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता ने 6 अप्रैल को लापता जवान को बंधक बनाने की बात कही थी।

पद्मश्री धर्मपाल सैनी, माता रुक्मणी आश्रम जगदलपुर, गोंडवाना समन्वय समिति अध्यक्ष तेलम बोरैया, पत्रकार गणेश मिश्रा और मुकेश चंद्राकर, राजा राठौर, शंकर के सहयोग से अपहृत जवान की जानकारी मिली। इन्हीं के प्रयास से उन्हें मुक्त कराया गया।

मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हुए थे

ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों के हमले में 23 जवान शहीद हुए थे। नक्सलियों ने भी अपने 5 साथी मारे जाने की बात मानी थी। मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने CRPF के कोबरा कमांडो राकेश्वर का अपहरण कर लिया था। इसके बाद माओवादी प्रवक्ता विकल्प ने मंगलवार को प्रेस नोट जारी कर कहा था कि पहले सरकार बातचीत के लिए मध्यस्थों का नाम घोषित करे, इसके बाद वह जवान को सौंप देंगे। तब तक वह उनके पास सुरक्षित रहेगा।