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कामखेड़ा के जंगलों में सर्चिंग के दौरान नक्सलियों ने की फायरिंग, C-60 और सुरक्षाबलों की टीम ने दिया मुहंतोड़ जवाब; साथियों की लाश छोड़ भागे नक्सली

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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से लगे गढ़चिरौली में गुरुवार की सुबह पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फायरिंग कोहका के कामखेड़ा जंगलों में हुई। सुबह करीब साढ़े 5 से 6 बजे के बीच गढ़चिरौली पुलिस की विशेष लड़ाकू यूनिट सी-60 कमांडो की टीम और अन्य सुरक्षाकर्मी इलाके की गश्त कर रहे थे, तभी नक्सलियों से इनका आमना- सामना हो गया।

खुफिया इनपुट के अधार पर गई थी टीम
गढ़चिरौली पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल ने मीडिया को बताया कि पुलिस को टीम को खुफिया जानकारी मिली थी कि इस 25 नक्सलियों का समूह जंगल में जमा हुआ है। उन्होंने बताया कि पुलिस की टीम को देखकर, नक्सलियों ने उन पर गोलियां चलानी शरू कर दी जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने भी जवाबी कार्रवाई की।

मुठभेड़ करीब एक से डेढ़ घंटे तक चली। पुलिस की हैवी फायरिंग से घबराकर नक्सली भाग गए। इसके बाद इलाके की तलाशी के दौरान पुलिस को दो नक्सलियों के शव मिले जिसमें एक महिला थी। वहीं पर अन्य नक्सल संबंधित सामग्रियां मिलीं हैं। पुलिस की टीम बेस कैंप की ओर लौट रही है। इसके बाद मुठभेड़ को लेकर कुछ और जानकारी भी सामने आ सकती है।

15 दिन में मुठभेड़ की दूसरी घटना

15 दिन पहले गढ़चिरौली जिले के एटापल्ली में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर C-60 फोर्स के जवान सर्चिंग पर निकले थे। सुबह करीब 6.30 बजे जांबिया-गट्टा के जंगलों में घात लगाए 20-25 नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इस पर जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की। जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली भाग निकले। इसके बाद जवानों ने सर्चिंग के दौरान दो नक्सलियों के शव बरामद किए। मारे गए नक्सलियों में एक पर 6 लाख और दूसरे पर 2 लाख रुपए का इनाम था। मौके से हथियार व अन्य सामान भी बरामद हुआ था।

कौन हैं C-60 एंटी नक्सल कमांडो

गढ़चिरौली जिले की स्थापना के बाद से ही पूरे क्षेत्र में नक्सली गतिविधियां बढ़ गई थी। इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्कालीन SP केपी रघुवंशी ने 1 दिसंबर 1990 को C-60 की स्थापना की। उस वक्त इस फोर्स में सिर्फ 60 विशेष कमांडो की भर्ती हुई थी, जिससे इसे यह नाम मिला। नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए गढ़चिरौली जिले को दो भागों में बांटा गया। पहला उत्तर विभाग, दूसरा दक्षिण विभाग।

प्रशासनिक कामकाज भी करते हैं C-60 कमांडो

इन कमांडो को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हें दिन-रात किसी भी समय कार्रवाई करने के लिए ट्रेंड किया जाता है। इनकी ट्रेनिंग हैदराबाद, NSG कैंप मनेसर, कांकेर, हजारीबाद में होती है। नक्सल विरोधी अभियान के अलावा ये जवान नक्सलियों के परिवार, नाते-रिश्तेदारों से मिलकर उन्हें सरकार की योजनाओं के बारे में बताकर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का काम भी करते हैं। नक्सली इलाकों में ये प्रशासनिक समस्याओं की जानकारी भी जुटाते हैं।