भारत के कई राज्यों से मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की खबरें सामने आई थीं. इसके बाद सरकार ने उपलब्धता बढ़ाने के लिए ग्लोबल टेंडर (Global Tender) जारी किए थे. खबर है कि सरकार के इन प्रयासों के बाद तीन
कंपनियों ने 3500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने के लिए कोटेशन भारत सरकार को दिए हैं. वहीं, भारत में ऑक्सीजन की मांग इससे काफी ज्यादा है. सरकार ने बीती 16 अप्रैल को मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की खरीद के लिए टेंडर जारी किए थे.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि कोटेशन भेजने वाली तीन कंपनियों में से दो विदेशी हैं. जबकि, एक कंपनी भारत की ही है. सरकार ने 50 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए टेंडर जारी किए थे. जिसमें से कंपनियों ने 3500 मीट्रिक टन के कोटेशन सरकार को भेजे हैं. साथ ही कंपनियों ने 3 महीनों में ऑक्सीजन डिलीवरी की बात कही है. जबकिस सरकार तीन हफ्तों में ऑक्सीजन प्राप्ति की उम्मीद में थी.
रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर के एसएसबी क्रायोजेनिक इक्विपमेंट ने 200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई करने की पेशकश की है. जबकि, अबुधाबी के गल्फ इंडस्ट्रियल गैसेज ने कहा है कि वे 1800 मीट्रिक टन सप्लाई कर सकते हैं. वहीं, तीसरी कंपनी अल्ट्रा प्योर गैसेज गुजरात की है, जिसने 1500 मीट्रिक टन सप्लाई की बात कही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि गुजरात की कपंनी ने एकमात्र ‘सफल कोटेशन’ रही है, जिसने इस महीने 500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए राजी हो गई है.
सरकार ने सप्लायर्स से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के साथ-साथ टैंकर या कंटेनर भी उपलब्ध कराने की बात कही थी. रिपोर्ट में सूत्रों ने बताया ‘केवल यही सप्लायर थे, जिनके पास दोनों चीजें थीं. अन्य लोगों ने कहा कि उनके पास कंटेनर्स नहीं हैं.’ टेंडर जारी करने के दौरान सरकार ने कहा था कि कुछ ही हफ्तों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू होने की उम्मीद है.
अखबार के सूत्रों ने बताया है कि विदेश मंत्रालय और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड मिडिल ईस्ट में ‘सभी बड़ी कंपनियों से चर्चा कर रहे हैं.’ लेकिन अब तक ‘कोई प्रतिक्रिया’ नहीं मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा है कि लिक्विड ऑक्सीजन के सप्लाई के लिए पर्याप्त कंटेनर्स नहीं होने के चलते वैश्विक कंपनियों से धीमी प्रतिक्रिया मिल रही हैं.