केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) का कहना है कि भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) के साथ कोई समझौता स्वीकार नहीं करेगा. सोशल मीडिया के लिए नए आईटी नियम और ट्विटर विवाद पर न्यूज़18 के साथ खास बातचीत में उन्होंने साफ कहा कि भारत अपनी ‘डिजिटल संप्रभुता’ से समझौता नहीं करेगा और सोशल मीडिया कंपनियों को भारतीय कानून का पालन करना ही होगा.
रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘बड़ी सोशल मीडिया कंपनियां भारत से बड़ा मुनाफा बनाती हैं. इनकी देश में वृहद मौजूदगी है. सामान्य नागरिक, पत्रकार, उद्योगपतियों तक को ट्रोल किया जाता है. हम निजता का सम्मान करते हैं. लेकिन कंपनियों को आतंकी गतिविधियों, असामाजिक तत्वों, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से संबंधित मामलों में जानकारी मुहैया करानी पड़ेगी.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हम आलोचना का सम्मान करते हैं. कोई भी आलोचना कर सकता है. ये हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है. लेकिन कानून सर्वोपरि हैं. भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता के साथ किसी भी रूप में समझौता नहीं कर सकता. भारत एक लोकतंत्र है जो संविधान के हिसाब से चलता है. ट्विटर को हमें लोकतंत्र की मेरिट के आधार पर लेक्चर देना बंद करना चाहिए.’
‘कुछ लोग ट्विटर पर राजनीति करते हैं, अब वो ट्विटर के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं’उन्होंने कहा कि भारत में शिकायत निवारण अधिकारी की मौजूदगी होनी चाहिए. इन कंपनियों को भारतीय संविधान का सम्मान करना सीखना होगा. कुछ लोग ट्विटर पर राजनीति करते हैं. अब वो ट्विटर के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं.
वहीं वॉट्सएप को लेकर उन्होंने कहा-सभी यूजर्स को संपूर्ण स्वतंत्रता है कि वो पहले की तरह प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें. उनके कंटेंट को डिस्क्लोज करने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा-लद्दाख चीन का हिस्सा है? दोहरे मापदंड भारत, अमेरिका और अन्य देशों में दिखे हैं. मीडिया के पास शिकायत निवारण का मैकेनिजम है. मुद्दा ये है कि इरादा भी होना चाहिए.
‘हम तकनीक पर भरोसा करते हैं’
उन्होंने कहा-डिजिटल इंडिया को दुनियाभर में सम्मान से देखा जाता है. किसी भी भारतीय की सहमति के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए. हम तकनीक पर भरोसा करते हैं. हम सत्ता में सोशल मीडिया की बड़ी कंपनियों की वजह से नहीं आए हैं. हम सत्ता में हैं क्योंकि भारत के लोगों ने हम पर भरोसा दिखाया है.