कोरोना की दूसरी लहर में मची तबाही के बाद अब तीसरी लहर (Covid Third Wave) का खतरा बढ़ रहा है. वहीं इसे लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह लहर बच्चों को अपना शिकार बना सकती है. इतना ही नहीं इस लहर में दूसरी लहर के मुकाबले काफी बड़ी संख्या में कोरोना के मामले आने की चेतावनी भी दी जा रही है.
तीसरी लहर को लेकर अब पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट लॉकडाउन (Lock Down) को कड़ा करने या इसमें छूट देने जैसी चीजें करने के बजाय कुछ तरीके अपनाने की राय दे रहे हैं. ताकि लंबे समय तक इन उपायों से पूरी व्यवस्था को ठीक रखा जा सके और वायरस (Corona Virus) से भी लड़ा जा सके.
न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में नेशनल काउंसिल ऑफ डिजीज कंट्रोल (NCDC) से रिटायर्ड और दिल्ली के जाने-माने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सतपाल देशभर में पूरी तरह लॉकडाउन खोल देने या लॉकडाउन लगा देने के बजाय कुछ जरूरी उपाय अपनाने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि हफ्ते-15 दिन की पूरी सख्ती और फिर उसके बाद दी जा रही छूट से चीजें खराब हो रही हैं.
वे कहते हैं कि देश में कोरोना की पहली लहर के बाद जब कोरोना के मामलों में कमी आई तो सभी पाबंदियां हटा ली गईं और सभी को पूरी छूट दे दी गई जिसका परिणाम दूसरी लहर के रूप में भयंकर आया. इसी तरह जब कोरोना की तीसरी, चौथी और कई लहरों की चेतावनी दी जा चुकी है तो बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. साथ ही सबसे ज्यादा जरूरी है सरकारों की ओर से स्वास्थ्य संबंधी इंतजामों के अलावा नियम और तरीके तय करना.
डॉ. सतपाल कहते हैं कि दिल्ली में पहले लॉकडाउन और अब लॉकडाउन में दी गई छूट के बाद संभव है कि अगर कोरोना के मामले बहुत नीचे पहुंचे तो सभी चीजों को पूरी तरह खोल दिया जाएगा. अभी भी सार्वजनिक परिवहन और मेट्रो ट्रेन (Metro Train) की सेवा भी शुरू हो गई है, सरकारी और प्राइवेट दफ्तर खुल गए हैं. रिटेल की दूकानें खुल ही रही हैं. ऐसे में अगर ये कह रहे हैं कि बहुत चीजें बंद हैं और लॉकडाउन है तो उसका फायदा नहीं नजर आ रहा है.
सतपाल कहते हैं कि राज्य सरकारों को लॉकडाउन कम से कम छह महीने और लगाना चाहिए या फिर तब तक लगाना चाहिए जब तक कि सभी को कोरोना का टीका नहीं लग जाता. हालांकि इस दौरान पूरी तरह पाबंदियां लगाने की सलाह नहीं दी जा रही बल्कि चीजों को सीमित और समयबद्ध करने की सलाह दी जा सकती है.
दफ्तरों के लिए लागू हों ये नियम
डॉ. सतपाल कहते हैं कि दिल्ली सहित अन्य राज्य सरकारें अपने यहां प्राइवेट और सरकारी सभी दफ्तरों को खोल सकती हैं लेकिन इसके लिए समय को बांट दें. जैसे कि सुबह सात बजे से लेकर शाम के पांच बजे तक हर एक या दो घंटे पर ऑफिसों का 20-25 फीसदी स्टाफ बुलाया जाए. साथ ही काम के घंटों को भी घटा दिया जाए. इसका फायदा यह होगा कि एक साथ भीड़ नहीं होगी न तो दफ्तरों में न ही सार्वजनिक परिवहन के वाहनों में. वहीं जो प्राइम टाइम की भीड़भाड़ होती है उससे बच पाएंगे और काम भी ठीक तरह से चलेगा.
इसका एक फायदा ये भी होगा कि जो लोग घरों पर रहकर मानसिक रोगी बन रहे हैं वे अपने काम को कम समय में बेहतर करने की कोशिश करेंगे और व्यस्त रहेंगे और मानसिक कष्ट से बचेंगे.
बाजार और शराब की दुकानों के लिए तय हो समय
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने शराब की होम डिलिवरी की बात की है. हालांकि शराब की दुकानों के लिए भी समय तय कर दें. थोक बाजार के काम के लिए तो वैसे भी बहुत ज्यादा दुकानें खोलने की जरूरत नहीं होती ऐसे में रिटेल के लिए समय तयह करना होगा. जैसे कि एक इलाके की कुछ दुकानें सुबह 12 बजे तक खुलेंगी तो उसी इलाके की दूसरी दुकानें दोपहर एक से शाम पांच तक खुलेंगी.
डॉ. सतपाल कहते हैं कि इसका फायदा ये होगा कि सभी हर दिन अपनी दुकानें खोल पाएंगे साथ ही ग्राहकों को भी दिक्कत नहीं होगी कि वे बाजार से दुकान बंद होने के चलते खाली लौट आए.
एक बड़ी समस्या साप्ताहिक बाजारों की भी है. ऐसे में जहां जहां साप्ताहिक बाजार लगते हैं उन्हें रोजाना की अनुमति संख्या बांटकर दी जाए. जैसे कि साप्ताहिक बाजार में 200 स्टॉल लगते हैं तो 20-30 स्टॉल को रोजाना लगाने की अनुमति दी जाए. ऐसे में सप्ताह में एक बार हर स्टॉल वाले का नंबर आ जाएगा. इससे उनकी रोजी रोटी भी चलेगी और लोगों को भी एक दिन खरीदारी के लिए भीड़ नहीं लगानी होगी.
होटल और सिनेमा हॉल के लिए ये किया जा सकता है उपाय
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि आजकल घरों में बंद रह रहकर लोग साइकेट्रिस्ट के पास जा रहे हैं. इनसे बचा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि अगर होटल में ओपन स्पेस है तो वहां लोगों को खाना-खाने की अनुमति दी जाए. जहां ओपन स्पेस नहीं है वहां से होम डिलिवरी कराई जा सकती है. इससे ये सब बंद भी नहीं होंगे और लोगों को भी सुविधाएं मिलती रहेंगी. रोजगार भी बना रहेगा और कोरोना से बचाव भी.
सिनेमा हॉल को किसी भी तरह खोलना खतरे पैदा करेगा इसलिए इसका उपाय ढूंढा जा सकता है. इसके लिए तमाम डिजिटल प्लेटफॉर्म या टीवी चैनलों पर फिल्मों को दिखाया जा सकता है. साथ ही सिनेमा हॉल मालिकों को इसके लिए कुछ पैसा दिया जाए ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है.
बच्चों के खेलने और बाहर जाने को लेकर किया जा सकता है ये काम
स्कूल बंद होने के बाद बच्चे घरों में रह रहे हैं और ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. इससे न केवल उनकी आंखें और विकास पर असर पड़ रहा है बल्कि वे मानसिक रूप से परेशान भी हो रहे हैं. ऐसे में पार्कों को खोलने का समय बढ़ाया जा सकता है. जब तक तेज धूप नहीं आती तब तक बच्चे पेड़-पौधों की छांव और पार्कों में खेल सकते हैं. शाम को भी जल्दी पार्क खोले जाएं और देर तक खुले रहें. पार्कों में बुजुर्गों के लिए भी एक समय तय कर दिया जाए. हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का ध्यान रखा जाए, बाकि चीजें नॉर्मल चल सकती हैं.
डॉ. सतपाल कहते हैं कि यह वह समय है कि सिर्फ कोरोना से आदमी नहीं मर रहा है. बल्कि स्वस्थ्य और फिट न रहने के चलते कोरोना जैसे वायरस का मुकाबला नहीं कर पा रहा है और नुकसान हो रहा है. इस समय लोगों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से भी स्वस्थ होना होगा, तभी चीजें ठीक हो पाएंगी.