वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने पार्टी से अलग हो रहे नेताओं को लेकर टॉप लीडरशिप से नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, लुईजिन्हो फेलेरियो जैसे नेताओं का जिक्र किया है. सिब्बल की ये नाराजगी एक दिन पहले पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) द्वारा ‘इस्तीफा बम’ फोड़े जाने के बाद आई है.
सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम लोग जी-23 के सदस्य हैं, जी हुजूर 23 के नहीं. हम अपने मुद्दे लगातार उठाते रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि वो पार्टी में एक समान विचार रखने वाले लोगों की तरफ से यह बात कह रहे हैं.
हम कांग्रेस को कमजोर होते नहीं देख सकते
उन्होंने कहा, ‘मैं यहा भारी मन से मौजूद हूं. हमारे लोग हमें छोड़ रहे हैं. सुष्मिता, फेलेरियो, जितिन मंत्री बन चुके हैं. सिंधिया ने बहुत पहले ही हमें छोड़ दिया. हर जगह लोग हमें छोड़ रहे हैं. हमारी पार्टी में इस वक्त कोई अध्यक्ष नहीं है. हम कांग्रेस को कमजोर होते नहीं देख सकते.’
क्या है जी-23 समूह
दरअसल बीते साल कांग्रेस के शीर्ष 23 नेताओं ने अगस्त महीने में चिट्ठी लिखकर हंगामा खड़ा कर दिया था. चिट्ठी लिखने वाले इन्हीं नेताओं को ग्रुप-23 (G-23) कहा गया. ग्रुप-23 कहे जाने वालों में शामिल गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने चिट्ठी प्रकरण के बाद भी पार्टी नेतृत्व से चुभते सवाल पूछने बंद नहीं किए. वो लगातार पार्टी आलाकमान के फैसले से नाखुश थे.
गुलाम नबी आजाद ने खत लिखकर CWC की बैठक बुलाने की अपील की
इस बीच वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है. सूत्रों के मुताबिक, गुलाम नबी आजाद ने अपने पत्र में सोनिया गांधी से तत्काल कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाने को कहा है.
सिद्धू के इस्तीफे से पंजाब कांग्रेस में फिर बवाल
एक दिन पहले पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोति सिंह सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद दिल्ली से लेकर राज्य तक की पार्टी राजनीति गर्मा गई है. सिद्धू के इस्तीफे के बाद कई अन्य नेताओं ने भी इस्तीफा दिया है. हालांकि टॉप लीडरशिप की तरफ से भी साफ कर दिया गया है कि मामले को राज्य स्तर पर भी सुलझाया जाए. इसकी जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को दी गई है.
टॉप लीडरशिप के लिए जल्द समाधान एक चुनौती
पंजाब से लेकर दिल्ली तक विरोध के उठते सुर के बीच माना जा रहा है कि अब कांग्रेस में अगले कुछ समय तक ऊहापोह की स्थित रह सकती है. पार्टी लीडरशिप को सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि दिल्ली में भी वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी को हैंडल करना पड़ सकता है.