दिल्ली (Delhi Air Quality) का एयर क्वालिटी या वायु गुणवत्ता संकट पिछले कई वर्षों से सालाना सामने आने वाली समस्या बन गया है. सर्दियों के मौसम की शुरुआत के आसपास सरकार गिरती वायु गुणवत्ता से तत्काल राहत के लिए अपनी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू करती है. हालांकि आधिकारिक आंकड़ों से ऐसे संकेत मिलते हैं कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) तब भी खराब होता है जब जीआरएपी लागू होता है.
पिछले साल जीआरएपी को लागू करने के एक महीने के अंदर एक्यूआई में लगभग 50 फीसदी की वृद्धि हुई.2019 में यह उछाल लगभग 77 फीसदी का था और 2018 में इसी दौरान वृद्धि लगभग 70 फीसदी थी. यह बात सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है.
एक्यूआई जितना अधिक होगा, वायु प्रदूषण का स्तर उतना ही ज्यादा होगा और स्वास्थ्य की चिंता उतनी ही अधिक होगी. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है.
2020 में जीआरएपी को 15 अक्टूबर को लागू किया गया था. तब दिल्ली का एक्यूआई 312 था. एक हफ्ते बाद यह 268 पर आ गया था. फिर उसके अगले हफ्ते फिर से 312 हो गया था. एक महीने बाद 15 नवंबर को जो दिवाली का अगला दिन भी था, तब शहर का एक्यूआई 467 था.
2019 में जब 15 अक्टूबर को जीआरएपी लागू किया गया था, तो शहर का एक्यूआई 262 था, जो एक सप्ताह के बाद गिरकर 249 हो गया. 2 नवंबर तक यह 407 और 15 नवंबर तक 463 पर पहुंच गया था. उस साल दिवाली 27 अक्टूबर को थी. तब वायु प्रदूषण में वृद्धि पटाखों को जलाने की वजह से माना जाता है. 2020 में निकाय ने 9 नवंबर को हवा की गुणवत्ता की तुलना 14 नवंबर दिवाली के दिन से की थी. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली ने दो तारीखों के बीच पीएम 2.5 में 83 फीसदी और पीएम10 तत्वों में 67 फीसदी की वृद्धि दर्ज की.
हवा की गुणवत्ता में हुआ कुछ सुधार
जबकि हवा की गुणवत्ता अभी भी अच्छे निशान पर नहीं है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में शहर की हवा में सुधार हुआ है. 2019 में अच्छे, संतोषजनक और मध्यम दिन बढ़कर 182 हो गए, जबकि 2016 में 108 की तुलना में खराब, बहुत खराब और गंभीर दिनों की संख्या 2016 में 246 से घटकर 2019 में 183 हो गई.
तो दिल्ली की हवा को क्या प्रदूषित कर रहा…
दिल्ली एक भूमिबद्ध शहर है. उद्योगों से लेकर वाहनों तक शहरीकरण का प्रभाव दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर पड़ता है. दिल्ली का पर्यावरण भी विभिन्न मौसम संबंधी घटनाओं से अत्यधिक प्रभावित होता है. इसमें गर्मियों में हवा की गुणवत्ता राजस्थान से धूल भरी आंधी से प्रभावित होती है और सर्दियों में यह शांत परिस्थितियों के साथ-साथ एनसीआर में बायोमास जलने से प्रभावित होती है.