पाकिस्तान (Pakistan) की संसद ने ऐसा कानून पास कर दिया है, जिससे अदालतें बलात्कारियों (Rapists) को नपुंसक (Chemical Castration) बनाने की सजा दे सकेंगी. बुधवार को पास हुए कानून के मुताबिक पाकिस्तान में अब बार-बार रेप और यौन शोषण जैसे अपराधों में पकड़े जाने वालों को केमिकल कैस्ट्रेशन की सजा मिलेगी. सरकार ने एक साल पहले यह बिल पेश किया था. सजा देने के लिए एक प्रक्रिया तय की गई है जिसके तहत सरकारी एजेंसियों को यौन शोषण करने वालों और बलात्कारियों का एक रिकॉर्ड रखना होगा. हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों ने इस सजा को अमानवीय बताया है. मामले की सुनवाई अदालतों को चार महीने के भीतर पूरी करनी होगी.
आइए जानते हैं क्या है केमिकल कैस्ट्रेशन और कैसे दी जाएगी ये सजा:-
क्या है केमिकल कैस्ट्रेशन?
केमिकल कैस्ट्रेशन में रसायनों के ज़रिए, मर्द की काम वासना को घटाकर, उसके टेस्टोस्टेरोन को कम कर दिया जाता है- जो मर्दों में मुख्य रूप से सेक्स हार्मोन होता है. इस प्रकार के कैस्ट्रेशन का इस्तेमाल, यौन अपराधियों के खिलाफ सज़ा के तौर पर, 1940 के दशक से होता आ रहा है. 2003 में, रिसर्चर्स चार्ल्स एल स्कॉट और ट्रेंट हॉम्बर्ग ने कहा, ‘मर्दों के मनोविकारी यौन व्यवहार को कम करने के लिए, हॉर्मोन पर आधारित दवाओं के इस्तेमाल का उल्लेख, सबसे पहले 1944 में मिलता है.’
बिल में कहा गया है – ‘केमिकल कैस्ट्रेशन (रासायनिक नपुंसकीकरण) एक प्रक्रिया है जिसे प्रधानमंत्री के बनाए नियमों के तहत मंज़ूर किया गया है, जिसमें एक व्यक्ति को आजीवन सेक्स करने के नाकाबिल बनाया जाता है, इसके लिए अदालत दवाओं के इस्तेमाल का आदेश देगी जिसे एक मेडिकल बोर्ड मंज़ूर करेगा.’
कौन से केमिकल का होता है इस्तेमाल?
केमिकल कैस्ट्रेशन के तहत साइप्रोटेरोन एसिटेट (CPA), मेडरॉक्सीप्रोगेस्टेरोन एसिटेट (MPA) और LHRH जैसी दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं. ये दवाएं टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्राडियोल हार्मोन को कम करती हैं. ये हार्मोन ही पुरुषों की सेक्स डिजायर के जिम्मेदार होते हैं. अमेरिका में केमिकल कैस्ट्रेशन के लिए MPA, जबकि ब्रिटेन, कनाडा और मध्यपूर्व में CPA का इस्तेमाल होता है.
केमिकल कैस्ट्रेशन कितना कारगर है?
अगर मेडिकल इफेक्ट की बात करें तो केमिकल कैस्ट्रेशन से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. खून की कमी होती है, मांसपेशियां कमजोर होती हैं और कई अन्य प्रभाव भी होते हैं.
इन लोगों को दी गई ये सजा
आधुनिक कंप्यूटिंग के पिता और महान गणितज्ञ एलन तूरिंग को समलैंगिकता की सज़ा के तौर पर 1952 में केमिकल कैस्ट्रेशन किया गया.
एक रिसर्च कहती है कि केमिकल कैस्ट्रेशन को लागू करने के बाद रीऑफेंडिंग रेट्स में 5 से 40% की कमी आई. दुनिया के दूसरे देश भी इसी तरह की बात कहते हैं. लेकिन, इसकी इफेक्टिवनेस हमेशा सवालों में रही है.
भारत में भी इसे लेकर छिड़ी बहस
भारत में, यौन अपराधों की सज़ा के तौर पर, कैस्ट्रेशन के इस रूप को शुरू करने पर, 2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या मामले के बाद से बहस चल रही है, जिसमें एक 23 वर्षीय फिज़ियोथेरेपी छात्रा, छह लोगों के हाथों बर्बर रेप और हिंसा का शिकार बनी थी. लीगल इफेक्ट की बात करते हुए सीनियर एडवोकेट आभा सिंह ने भास्कर से कहा कि ये बहुत इफेक्टिव नहीं है. इसे एक सर्टेन पीरियड के बाद देना पड़ता है. जिन देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है, वहां भी बहुत इफेक्टिव नहीं हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं से कुछ होना बेहतर है.