आज खुली हवा में हम सांसें ले रहे हैं और सुरक्षित हैं. क्योंकि हमारी रक्षा के लिए खाखी वर्दी धारी पुलिस जवान हैं, मगर छत्तीसगढ़ के पुलिस जवान इन दिनों अव्यवस्था से खफा हैं. थाने में हथियार जमा कर लगातार तीसरे दिन भी आन्दोलन पर डटे हैं. तीन वर्ष पहले पुलिस के आन्दोलन को बल मिला. आन्दोलन के बाद अव्यवस्था सुधरने की उम्मीद थी, मगर अनुशासन का ऐसा पाठ की सब आक्रोश अंदर ही अंदर धधक रहा था. पुलिस परिवार ने जब आन्दोलन छेड़ा तो उनके समर्थन में सहायक आरक्षकों ने हथियार जमा कर आन्दोलन में कूद गए. पुलिस के करीब एक हजार जवान आंदोलन कर रहे हैं. सबने पुलिस अफसरों पर उनके परिवार वालों से बदसलूकी करने का आरोप लगाया है.
पुलिस के आन्दोलन में वर्दीधारी सीएफ, डीएफ,सहायक आरक्षक, एसटीएफ, जेल प्रहरी और नगर सेना के परिवार जवान अप्रत्यक्ष रुप से शामिल हैं. हांलाकि राजधानी रायपुर में चलने वाला आन्दोलन शांत हुआ, लेकिन बस्तर के बीजापुर में आन्दोलन अब भी जारी है. जवान शुक्रवार को भी आंदोलन कर रहे हैं. पुलिस के आला अधिकारी उनके मान-मनौव्वल में लगे हैं, लेकिन फिलहाल कोई हल नहीं निकला है.
राज्य सरकार ने बनाई हाई पावर कमेटी
बीजापुर एसपी कमलोचन कश्यप का कहना है कि सभी से आंदोलनकारी पुलिस जवानों से बातचीत की जा रही है. राज्य सरकार ने हाई पावर कमेटी का गठन किया है. मांगो पर कमेटी विचार करेगी. इस बीच
आन्दोलन के समर्थन में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री महेश गागडा पहुंचे थे. सहायक आरक्षकों की नाराजगी उन्हें झेलनी पड़ी. पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा है कि अंदुरुनी इलाके की सुरक्षा व्यवस्ता चौपट हो गई है. सरकार को जायज मांगो पर ध्यान देना चाहिए.
क्या कहती है कांग्रेस
इस आन्दोलन को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि प्रदेश की सरकार संवेदनशील है. मांगों को लेकर 4 सदस्यीय हाईपावर कमेटी का गठन किया है. कमेटी सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी. उनकी जायज मांगे पुरी होगी.
इन मांगों को लेकर आंदोलन
पुलिस परिवार की 22 सुत्रीय मांगे हैं, जिनमें 2800 ग्रेड पे , सहायक आरक्षकों का संविलियन, नगर सेना का सामान काम समान वेतन, सप्ताहिक अवकाश, 8 घंटे की ड्यूटी सहित कई मांगे शामिल हैं. इन मांगों को लेकर पहले भी पुलिस परिवार के सदस्य सरकार के खिलाफ धरना दे चुके हैं.