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जम्मू-कश्मीर: हथियार छोड़ चुके आतंकियों से संपर्क साध रहे पाकिस्तान कमांडर, अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसिया.

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आत्मसमर्पण करने और हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने वाले आतंकवादियों से मिली जानकारी के बाद जम्मू (Jammu) में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं. इनसे एजेंसियों को जानकारी मिली है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के कमांडर उन्हें फिर से आतंक के रास्ते की ओर खींचने की कोशिशों में लगे हैं. इस मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने न्यूज18 से कहा, “जम्मू क्षेत्र में आत्मसमर्पण करने वाले कुछ आतंकवादी जो अब सामान्य जीवन जी रहे हैं, उन्होंने हमसे संपर्क किया और कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी कमांडर उनसे संपर्क कर रहे हैं और उन्हें फिर से आतंकी रैंक में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है.”

इनपुट्स के अनुसार, पाकिस्तान के आईएसआई के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) के बिम्बर इलाके में हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठनों के शीर्ष कमांडरों के साथ एक गुप्त बैठक की. अधिकारी ने कहा, “बैठक में जम्मू संभाग के माध्यम से अधिक कैडरों और नेताओं को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया था. पिछले महीने के अंत में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकी गाइड हाजी आरिफ को पुंछ-राजौरी में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने का काम सौंपा गया था. आरिफ को आईएसआई ने इलाके में आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादियों को ‘रीसायकल’ करने का काम दिया था. वह कुछ पूर्व आतंकवादियों के संपर्क में था, जिन्होंने बदले में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आईएसआई की योजना के बारे में सूचित किया था.”

कश्मीर में आतंकियों को लगा बड़ा झटका
सुरक्षाबलों से जुड़े के सूत्रों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में, आतंकवादी समूहों को कश्मीर घाटी में काफी नुकसान हुआ है और वे जम्मू क्षेत्र में कोई उपस्थिति स्थापित नहीं कर पाए हैं. एक सूत्र ने कहा, “इससे आतंकवादी कैडरों के मनोबल में कमी की खबरें आई हैं और इसलिए वे जम्मू क्षेत्र में अपनी उपस्थिति स्थापित करने के लिए उत्सुक हैं, खासकर पुंछ और राजौरी के सीमावर्ती इलाकों और डोडा और किश्तवाड़ के पहाड़ी जिलों में.”

सूत्र ने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा आतंक पर कार्रवाई तेज करने के साथ, आतंकवादियों को जनशक्ति के साथ-साथ हथियारों और गोला-बारूद की कमी का सामना करना पड़ रहा है, एक कारण यह है कि संगठन जम्मू की ओर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे थे.