तालिबान (Taliban) अब अपनी सेना में आत्मघाती दस्ते को आधिकारिक तौर पर शामिल करने जा रहा है. अलगाववादी समूह तालिबान अफगानिस्तान (Afghanistan) में सरकार बनाने के बाद से अपने प्रतिद्वंद्वी इस्लामिक स्टेट (ISIS) को अपने लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर देख रहा है और वह इस कदम को अपनी सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम बता रहा है.
पिछले साल सत्ता में आने से पहले तालिबान अपने आत्मघाती दस्ते को 20 साल से अमेरिका और अफगान सैन्य दलों के खिलाफ अहम हथियार की तरह इस्तेमाल करता रहा है. तालिबान के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी का कहना है कि अब तक यह संगठन बिखरा हुआ था, वह अब इसे संगठित करके सुधारना चाहते हैं, जिससे अफगानिस्तान की रक्षा सुनिश्चित की जा सके.
करीमी का कहना है कि उनका मुख्य लक्ष्य अब इस्लामिक स्टेट की स्थानीय शाखा होगी. क्योंकि अगस्त में अफगानिस्तान से अमेरिका के पीछे हटने के बाद तालिबान की मजबूती के साथ सत्ता में आने पर पांच बार बड़े हमले किए गए थे. इनमें से ज्यादातर हमले आत्मघाती दस्ते के जरिए किए गए थे. करीमी का कहना है कि इस विशेष दल का इस्तेमाल खास अभियानों के लिए किया जाएगा, और इसमें शहादत चाहने वालों को शामिल किया जाएगा.
इस बीच तालिबान शासन ने डूरंड रेखा पर पाकिस्तान को बाड़ लगाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के कमांडर मावलवी सनाउल्लाह संगीन ने बुधवार को अफगानिस्तान के टोलो न्यूज को बताया कि पाकिस्तान ने पहले चाहे जो कुछ भी किया हो, किसी भी रूप में किया हो, लेकिन अब वो ऐसे किसी भी काम की अनुमति नहीं देंगे, यहां किसी तरह की कोई बाड़ नहीं लगाई जाएगी.