पिछले साल अप्रैल में जब कोरोना की दूसरी लहर (Second wave of corona) ने कहर मचाना शुरू किया तो पूरे देश में हाहाकार मच गया. अस्पतालों (Hospitals) में कोरोना मरीजों को जगह नहीं मिल रही थी और ऑक्सीजन की सप्लाई (Oxygen supply) पूरी तरह से खत्म हो गई. हजारों मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत (Death from corona) हो गई. इस बार तीसरी लहर (third wave) ने दस्तक दे दी है और पहले के मुकाबले बहुत तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बार भारत भी इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक भले ही कोरोना के मामले पिछले साल की तुलना में बढ़ जाएं, लेकिन इस बार अस्पतालों में सुविधाओं की कमी नहीं होने वाली है. क्योंकि इस बार दूसरी लहर की तुलना में कोविड इंफ्रास्ट्रक्चर (Covid infrastructure) दोगुना हो गया है.
रोजाना 4.40 लाख से ज्यादा आएंगे मामले
आंकड़ों के मुताबिक पिछले 13 दिनों में इस बार कोरोना संक्रमण के मामलों में 28 गुना की वृद्धि हुई है. रविवार को देश में 1.80 लाख कोरोना के नए मामले सामने आए हैं जबकि देश में 7.3 लाख एक्टिव केस हो गए हैं. पिछले साल 7 मई को देश में सबसे ज्यादा 4.40 लाख नए मामले सामने आए थे. वैश्विक आंकड़ों को देखें तो इस बार भारत में 4.40 लाख का आंकड़ा पार हो सकता है. हालांकि अधिकारियों ने कहा है संक्रमण की दर में इतनी खतरनाक तेजी के बावजूद इस बार देश में किसी तरह के पैनिक होने का कोई कारण नहीं है. एक अधिकारी ने बताया कि सरकार इस बार पहले की तुलना में दोगुना से तीन गुना ज्यादा तैयारी कर चुकी है.
19236 मीट्रिक टन रोजाना ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता
अधिकारी ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन पर की गई स्टडी यह दर्शाती है कि भले ही बहुत तेज गति से संक्रमण के मामले बढ़ते हैं लेकिन उतनी ही तेजी के साथ यह नीचे भी गिरती है. उन्होंने कहा कि अधिकांश केस बिना लक्षणों वाले या हल्के लक्षण वाले होते हैं. देश की अधिकांश आबादी तक वैक्सीन कवरेज हो चुका है, इसलिए संक्रमण के बाद भी अस्पताल पहुंचने की आशंका बहुत कम है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जब कोरोना पीक पर था तब भारत में ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता 9500 मीट्रिक टन थी, लेकिन वर्तमान में यह 19236 मीट्रिक टन पहुंच गई है. अधिकारी ने बताया कि मुझे नहीं लगता कि हमारे देश में इससे अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी. वैसे भी ओमिक्रॉन का संक्रमण छाती के ऊपरी हिस्सों तक ही सीमित है.