छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में आंदोलन कर रहे प्रभावित किसानों को सूबे के मंत्रियों ने चर्चा के लिए बुलाया, मंत्री इंतज़ार करते रहे, लेकिन आंदोलनकारी किसान चर्चा के लिए ही नहीं पहुंचे. किसानों का कहना कि विधिवत सूचना नहीं दी गयी. इधर अब नवा रायपुर के किसान सरकार के खिलाफ ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में हैं. पुनर्वास और विस्थापन को लेकर किये गये वादों को पूरा करने की मांग को लेकर नवा रायपुर के किसान 3 जनवरी से एनआरडीए दफ्तर के परिसर में ही आंदोलन कर रहे हैं.
बीते गुरुवार को किसानों के साथ मंत्रियों की वार्ता रखी गयी थी, जिसमें आवास और पर्यावरण मंत्री मो अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया और इलाके के विधायक धनेन्द्र साहू मौजूद रहे. काफी देर तक मंत्रियों ने किसानों का इंतज़ार किया, लेकिन एक भी आंदोलनकारी वार्ता के लिए नहीं पहुंचा. मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है कि हम किसानों से फिर से बातचीत की कोशिश करेंगे. राज्य सरकार की नीतियों में किसान ही प्राथमिकता पर हैं. उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी. बता दें कि पिछले साल कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान दिल्ली में जनवरी महीने में ही ट्रैक्टर मार्च किए थे. इस बार रायपुर के किसान ट्रैक्टर मार्च की तैयारी कर रहे हैं. हांलाकि दिल्ली की तरह ट्रैक्टर मार्च के दौरान कोई विवाद न हो इसका पूरा ध्यान रखने का दावा किया जा रहा है.
अपमान करने का आरोप
इधर किसानों का कहना है कि किसान अपनी मांगों को लेकर जब-जब मंत्रियों के पास गये हैं. तब वहां से उन्हें अपमानित होकर लौटना पड़ा है. ऐसे में उनकी जिद है कि चर्चा की विधिवत सूचना उनके पास भेजी जाए. वहीं मांगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किसानों ने लिया है और अब नवा रायपुर में ही किसान 25 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च भी निकालने वाले हैं. नवा रायपुर के किसानों को एनआरडीए दफ्तर के सामने आंदोलन करते 19 दिन हो चुके हैं और ऐसे में सरकार के बुलावे पर ना जाना बताने के लिए काफी है कि किसान फिलहाल झूकने या पीछे हटने के मूड में नहीं हैं. क्योंकि छत्तीसगढ़ में अगला साल चुनावी साल जो है और यही वजह है कि प्रदेश के कद्दावर मंत्री और अधिकारी घंटों तक इंतज़ार करते रह गये.