कोरोना संक्रमण काल के कठिन दौर में मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट (Union Budget 2022) पेश किया. इस बार के बजट में करदाताओं को टैक्स स्लैब में कोई राहत तो नहीं दी गई, लेकिन उन्हें कोर्ट कचहरी के चक्कर से बचाने की कोशिश जरूर की गई है. यह सिर्फ करदाताओं के लिए ही नहीं, बल्कि आयकर विभाग के लिए मददगार साबित हो सकता है. वित्त मंत्री (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने स्वैच्छिक तरीके से कर भुगतान के माहौल को और सुदृढ़ करने के तहत बजट में खास प्रावधान किया है. सीतारमण ने इस बार के बजट में यह प्रस्तावित किया है कि यदि किसी करदाता (Assessee) के मामले में कानून से जुड़ा कोई ऐसा सवाल सामने आता है, जो किसी अन्य मामले के तहत हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही लंबित है तो ऐसे मामले में फैसला आने तक आयकर विभाग संबंधित करदाता के खिलाफ आगे की अपील को टाल देगा.
वित्त वर्ष 2023 के लिए पेश बजट में नए प्रावधान की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इससे आयकर विभाग और आयकर दाताओं दोनों पक्षों को लगातार कानूनी पचरे से राहत मिलेगी. वित्त मंत्री ने कहा, ‘इससे (नई व्यवस्था) आयकर विभाग और करदाताओं के बीच लगातार होने वाली कानूनी लड़ाई को कम करने में काफी मदद मिलेगी.’ नए प्रावधान को इस उम्मीद से भी बजट घोषणा में शामिल किया गया है कि इससे टैक्स डिपार्टमेंट के संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और इस्तेमाल भी संभव हो सकेगा. बता दें कि एक ही तरह के कई मामले कोर्ट में पहुंच जाते हैं और टैक्स डिपार्टमेंट के साथ ही टैक्स पेयर को भी कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ता है. बजट 2022 में किए गए नए प्रावधान से दोनों पक्षों को राहत मिलने की उम्मीद है.
कर चोरी से निपटने को लेकर भी उपाय
आम बजट में कानूनी लड़ाई को कम करने के साथ ही कर चोरी के मामलों से निपटने को लेकर भी नए प्रस्ताव रखे गए हैं. सीतारमण ने कहा कि बिजनेस में लाभ को एजेंट को पास करने की प्रवृत्ति पाई जाती है जो टैक्सेबल होते हैं. इस तरह के ट्रांजेक्शन को ट्रैक करने के लिए सरकार ने नया प्रस्ताव रखा है. दरअसल, इस तरह के वित्तीय लेनदेन का पता लगाने के लिए सरकार की ओर से यह प्रावधान किया गया है.