रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति के नतीजों की घोषणा कर दी है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि आर्थिक सुधारों को प्रमुखता देते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
दास ने कहा, फिलहाल हमने रेपो रेट को 4 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा है. इससे कर्ज का प्रवाह बढ़ाने में मदद मिलेगी और महामारी के दबाव से अर्थव्यवस्था को बाहर लाया जा सकेगा. यह 11वीं बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. गवर्नर का कहना है अर्थव्यवस्था को अभी महामारी से पूरी तरह बाहर नहीं लाया जा सका है. ऐसे में आर्थिक स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है.
रिवर्स रेपो रेट में 40 आधार अंक की बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक ने बाजार में लिक्विडटी की समीक्षा के बाद रिवर्स रेपो रेट में 40 आधार अंक की बढ़ोतरी कर दी है. अब रिवर्स रेपो रेट 3.75 फीसदी पहुंच गया है. आरबीआई की मंशा है कि रिवर्स रेपो रेट को दोबारा बढ़ाकर महामारी के पूर्व स्तर पर पहुंचा दिया जाए .रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक में पैसे जमा करने पर बैंकों को ब्याज मिलता है. अब बैंक आरबीआई में पैसे जमा करेंगे तो उन्हें सालाना 3.75 फीसदी का ब्याज मिलेगा.
जून तक महंगाई से राहत नहीं
गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्तवर्ष में खुदरा महंगाई की औसत दर 5.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. रिपोर्ट के अनुसार, पहली तिमाही में खुदरा महंगाई खास परेशान करने वाली है. आरबीआई ने अप्रैल-जून की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई की दर 6.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो उसके तय 6 फीसदी के दायरे से भी ज्यादा है. हालांकि, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में खुदरा महंगाई दर घटकर 5 फीसदी पर आने का दावा किया गया है.
इसी तरह, अक्तूबर-दिसंबर की तीसरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.4 फीसदी और जनवरी-मार्च की चौथी तिमाही में 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. गवर्नर ने कहा, आरबीआई अर्थव्यवस्था को लेकर अपना सूक्ष्म और तीव्र दृष्टिकोण बनाए रखेगा.