कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) खाताधारकों को नॉमिनेशन करने की सलाह देता है. नॉमिनेशन होने से भविष्य में क्लेम लेने में दिक्कत नहीं आती है. अगर खाताधारक की मृत्यु हो जाती है और उसने पहले से अपना नॉमिनी घोषित किया हुआ है तो फिर बिना किसी ज्यादा झंझट के पैसे नॉमिनी को मिल जाते हैं. इसलिए ईपीएफ सब्सक्राइबर (EPF Subscriber) के लिए नॉमिनेशन करना फायदेमंद ही होता है.
ऐसा भी नहीं है कि अगर किसी ने नॉमिनेशन नहीं किया है तो ईपीएफ खाताधारक की मृत्यु के बाद उसके पैसे परिवार वाले नहीं निकाल सकते. अगर किसी सब्सक्राइबर ने अपना नॉमिनी घोषित नहीं किया है तो भी उसके परिवार वाले फार्म 20 भरकर क्लेम ले सकते हैं.
किसे मिलेगा पैसा
बिना नॉमिनेशन किए अगर किसी ईपीएफ खाताधारक की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के सदस्यों को पैसा मिलता है. ईपीएफ में इस बारे में स्पष्ट नियम है. इसके मुताबिक, अगर सब्सक्राइबर ने नॉमिनेशन नहीं किया है और उसकी मृत्यु हो जाती है तो फिर पीएफ (PF) में जमा पैसा परिवार के सदस्यों में एक बराबर-बराबर बांट दिया जाएगा. परिवार के सदस्यों में पति या पत्नी, बच्चे (विवाहित या अविवाहित), आश्रित अभिभावक, सब्सक्राइबर के महिला होने पर उसके पति के आश्रित अभिभावक, सब्सक्राइबर के बेटे की विधवा पत्नी और उसके बच्चे शामिल हैं.
भरना होगा फार्म 20
ईपीएफ खाताधारक के परिवार को फार्म 20 भरना होगा और परिवार के उन सदस्यों के नाम देने होंगे जिन्हें नियमानुसार पैसा मिलना है. परिवार के सदस्यों के बारे में जानकारी वह कंपनी देगी, जहां ईपीएफ सब्सक्राइबर नौकरी करता था. अगर किसी वजह से कंपनी यह जानकारी नहीं दे सकती या कंपनी बंद हो गई है तो एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट से परिवार के सदस्यों की लिस्ट प्रमाणित कराकर जमा करानी होगी. फॉर्म 20 के साथ मृत्यु प्रमाण-पत्र और कैंसिल चेक की एक फोटोकॉपी भी लगानी होती है.
जल्दी करें क्लेम
क्लेम फाइल करने में देर नहीं करनी चाहिए. परिवार द्वारा जितना जल्दी फॉर्म 20 ईपीएफओ में जमा किया जाएगा, क्लेम उतना जल्दी ही मिलेगा. आम तौर पर ईपीएफ कमिश्नर सभी जरूरी दस्तावेज मिलने पर एक महीने में क्लेम दे देते हैं. अगर सब्सक्राइबर का पीएफ अकाउंट ईपीएफओ के बजाय प्राइवेट ट्रस्ट के पास है तो भी इस प्रोसेस में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी.
अगर सब्सक्राइबर ने कोई वसीयत बनाई है तो फिर क्लेम मिलने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वसीयत का सक्सेशन सर्टिफिकेट देना होता है. ऐसा सावधानी के लिए किया जाता है, ताकि भविष्य में दूसरा कोई इस तरह का क्लेम नहीं कर सके. इसकी जांच में समय लगता है जिससे क्लेम थोड़ा देर से मिलता है.