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Data Protection Bill: पहली बार ‘She’ और ‘Her’ का प्रयोग, जानें बिल की खास बातें

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आपकी प्राइवेट जानकारी पर आपका अधिकार है. हर तरह का प्राइवेट डाटा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता और न ही कंपनियां इसे अपने फायदे के लिए बेच सकती है. आम उपभोक्ताओं के ऐसे हितों की रक्षा के लिए तैयार किया गया है- डाटा प्रोटक्शन बिल.

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का मसौदा जारी कर दिया है.

इस बिल के तहत सरकार एक डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाएगी. बिना आपकी मर्जी के आपके डेटा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. कंपनियों को हर डिजिटल नागरिक को सारी जानकारी स्पष्ट और आसान भाषा में देनी होगी. कानून बनने के बाद उल्लंघन पर मोटा जुर्माना लगाया जा सकेगा. आइए जानते हैं इस बिल में और क्या खास है.

‘He’ और ‘His’ के साथ ‘Her’ और ‘She’ का प्रयोग

भारतीय इतिहास में पहले भी सैकड़ों बिल पेश किए गए हैं, लेकिन अब तक के विधेयकों में His और He का प्रयोग किया जाता था. यह पहली बार है, जब सभी लिंगों को निरूपित करने के लिए ‘Her’ और ‘She’ का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि ऐसा नहीं है कि आपराधिक और दीवानी, दोनों ही मामलों में विधेयक में her-She या His-He लिखा होने की स्थिति में दूसरे लिंग के खिलाफ मुकदमा नहीं चलेगा. लेकिन पहले के विधेयकों में His-He का प्रयोग करके पुरुषों को प्राथमिकता दी जाती रही थी. जबकि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के मसौदे में Her-She का प्रयोग कर महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है.

क्या है बिल की खास बातें?

  1. बिना उपभोक्ता की मर्जी के नहीं इस्तेमाल हो सकता डाटा
  2. हर नागरिक को कंपनियाें को आसान भाषा में देनी होगी सारी जानकारी
  3. ग्राहक डाटा इस्तेमाल की अनुमति देते भी हैं तो किसी समय वापस ले सकेंगे
  4. ग्राहकों के डेटा के गलत इस्तेमाल पर 250 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान
  5. राष्ट्रहित में एजेंसियों या राज्यों को इसके दायरे से बाहर रख सकती है सरकार
  6. देश में ही या मित्र देशों (सरकार द्वारा जारी) में ही करना होगा डेटा स्टोरेज
  7. असीमित समय तक डेटा सुरक्षित रख सकेंगे सरकारी एजेंसियां और संस्थान

सरकार बनाएगी बोर्ड, आदेश का पालन करना होगा

डाटा प्रोटेक्शन के लिए सरकार एक रेगुलेटरी बॉडी(बोर्ड) बनाएगी. उपभोक्ता अपने डेटा के गलत इस्तेमाल या किसी भी अन्य तरह की अनियमितता की शिकायत बोर्ड से कर सकेंगे. कंपनियाें को बोर्ड के आदेश का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा. हालांकि असंतुष्ट रहने पर हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है. जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, कंपनियों को देश में या मित्र देशों में डाटा स्टोर करना होगा. मित्र देशों की सूची सरकार जल्द ही जारी करेगी.