पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (पूरा नाम- इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी) जितना अपनी सियासी दांव-पेंचों और नेतृत्व कौशल के लिए जानी जाती हैं, उतने ही चर्चे उनके गुस्से के भी होते रहते हैं।
भेंट में उन्हें बुक देने पहुंचे लेखक डॉम मोरेस को तब उन्होंने बुरी तरह झाड़ दिया था। कहा था कि वह कूड़ा-करकट नहीं पढ़ती हैं। ऐसे में वह पुस्तक को वापस ले जाएं।
‘बीबीसी हिंदी’ ने प्रकाशक अशोक चोपड़ा के हवाले से बताया कि मोरेस उन्हें ‘मिसेज़ जी’ नाम की जीवनी देने पहुंचे थे, जो उन्हें रास न आई थी। इंदिरा ने उन्हें पहले तो वहां कुछ देर इंतजार कराया। फिर जब मुलाकात की बारी आई और उन्होंने किताब दी तो वह कड़क लहजे में बोलीं- किताब…कैसी किताब? मैं कूड़ा-करकट नहीं पढ़ती हूं। आप इसे वापस ले जाइए।
यही नहीं, वह लोगों की नब्ज पकड़ने में भी बड़ी माहिर थीं। इस बात की बानगी उस घटना से मिलती है, जब पूर्व प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति से डांस फ्लोर पर साथ थिरकने के अनुरोध पर उन्होंने साफ मना कर दिया था। आयरन लेडी ऑफ इंडिया ने तब दो टूक कहा था कि अगर वह ऐसा करेंगी तो यह उनके देशवासियों को पसंद नहीं आएगा।
यह किस्सा मार्च, 1966 के आसपास का है, जिसका जिक्र इंदिरा की जीवनी ‘इंदिरा गांधी ए पर्सनल एंड पॉलिटिकल बायोग्राफी’ में मिलता है। इंदिरा तब पहली बार अमेरिका गई थीं। व्हाइट हाउस में उनके सम्मान में तब डिनर पार्टी रखी गई थी। कार्यक्रम में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने गांधी को डांस फ्लोर पर थिरकने के लिए बुलाया था।
यह बायोग्राफी लिखने वाले इंदर मल्होत्रा ने इस वाकये का जिक्र करते हुए लिखा था- इंदिरा ने जॉनसन के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने जवाब दिया था कि यह भारतवासियों को बिल्कुल पसंद नहीं आएगा कि हिंदुस्तानी पीएम बॉल रूम में डांस करें।