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Chanakya Niti: किसी भी व्यक्ति की जीभ में छिपा होता है उसकी तरक्की और विनाश का राज

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Chanakya Niti: चाणक्य ने बताया है कि बोलने से पहले 100 बार सोचना चाहिए. शब्दों का वार ऐसा होता है जो मरते दम तक ह्दय में चुभता रहता है.

Chanakya Niti: चाणक्य ने मनुष्य की कामयाबी में रोड़ा बनने वाली चीजों का भी जिक्र किया है. चाणक्य ने बताया है कि व्यक्ति का एक अवगुण कई हद तक उसकी नाकामयाबी का कारण होता है. जब वो इस अवगुण से ग्रसित होता है तो उसकी सफलता भी असफलता का रूप ले लेती है. ये ऐसा गुण है जिसका सही इस्तेमाल नहीं किया गया तो ये अवगुण बन जाता है.

किसी भी मनुष्य की तरक्की और विनाश का राज उसकी जीभ में छिपा होता है- चाणक्य

  • आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है व्यक्ति के विनाश और सफलता का राज उसकी वाणी में छिपा होता है. चाणक्य के अनुसार मनुष्य की जुबान से कड़वे और मीठे बोल निकलते हैं. जुबान में इतनी ताकत है कि बिगड़े काम को बनाने की क्षमता भी रखती है और रिश्तों को काटने की भी. चाणक्य कहते हैं कि एक धनवान की बोली में अगर कड़वापन है तो उससे गरीब व्यक्ति कोई नहीं लेकिन निर्धन होकर भी जो मीठा बोले अपनी वाणी को संयमित रखे वह पूजनीय है.
  • संयमित बोली पर चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को धन-दौलत से नहीं बल्कि शब्दों से कंजूस होना चाहिए. उतना ही बोले जितना काम का हो, बेवजह या अपशब्द बोलने से अच्छा है चुप रहना.
  • एक बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा तोल-मोल कर बोलता है, क्योंकि वह यह भलीभांति जानता है कि उसका एक शब्द उसकी छवि को खराब कर सकता है. मुंह से निकला शब्द वापस नहीं आ सकता. कड़वे बोल दूसरों को ठेस पहुंचाने के साथ व्यक्ति के विनाश का कारण बनते हैं. वाणी में सफलता को असफलता में बदलने की ताकत होती है.
  • चाणक्य के अनुसार जो वाणी पर संतुलन बनाए रखने की शक्ति रखता है वह मान-सम्मान के साथ हर मोड़ पर सफलता प्राप्त करता है. बोलने से पहले 100 बार सोचना चाहिए. शब्दों का वार ऐसा होता है जो मरते दम तक ह्दय में चुभता रहता है. जो वाणी पर काबू पा लेते हैं वह जग जीतने की क्षमता रखते हैं.