विदेशी कोल की कीमत एक तिहाई कम हो गई है। इससे बीएसपी प्रबंधन को बड़ी राहत मिली क्योंकि सेल में विदेशी कोल की खपत उसके यहां है। दाम के कम होने से लागत भी कम होना तय है। इस वजह से तीसरी तिमाही में बीएसपी को उत्पादन बढ़ने के साथ ही बड़े प्रॉफिट की उम्मीद है। सेल की सभी इकाइयों में सबसे अधिक इंपोर्टेड कोकिंग कोल की खपत बीएसपी में होती है। यहां हर वर्ष करीब 42 लाख टन इंपोर्टेड कोल का स्टील उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है। बीएसपी में इंपोर्टेड कोकिंग कोल की मुख्य तक सप्लाई आस्ट्रेलिया से हो रही है। इसके अलावा ज़रुरत पड़ने पर अमेरिका और मोजांबिक से भी कोल की खरीदी की जाती है।बीते वित्त वर्ष के अंत से इस वर्ष की पहली तिमाही तक विदेशी कोल के दाम तेजी पर थे। पहली तिमाही तक बीएसपी प्रबंधन को एक के लिए साढ़े 650 डालर तक चुकाने पड़ रहे थे लेकिन दूसरी तिमाही से इसके दाम में गिरावट शुरू हुई। तीसरी तिमाही के आते तक विदेशी कोल के दाम में एक तिहाई तक गिरावट आ चुकी है। यानि वर्तमान में प्रबंधन को एक टन के लिए 200 डालर से भी कम भुगतान करना पड़ रहा है। कोल के बढ़े दाम का असर था कि पहली तिमाही में कंपनी को घाटे का सामना करना पड़ा। लेकिन दूसरी तिमाही से विदेशी कोल के दाम घटने पर बीएसपी का उत्पादन पटरी पर लौटा। नवंबर में बीएसपी ने सबसे अधिक 2372 करोड़ का कारोबार किया।
एक महीने में चौथी बार बढ़े उत्पाद के दाम
कोल का दाम बढ़ने पर बीएसपी सहित अन्य इकाइयों में इस्पात का उत्पादन लागत बढ़ गया था। इस वजह से प्रबंधन को थोड़े-थोड़े अंतराल में उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़े थे। उस वक्त हाट रोल क्वाइल (एचआरसी) का दाम 72500—73500 और कोल्ड रोल क्वाइल आरसी का दाम 78500 से बढ़कर 79000 प्रति टन हो गया था।
इंपोर्टेड कोल की खासियत कि धुआं का स्तर कम
इंपोर्टेड कॉल में धुआं निकलने का लेवल न्यूनतम है, वही उसका टेंपरेचर देशी कोल के मुकाबले अधिक समय तक मेंटेन रहता है। अधिक धुआं निकलने से स्टील की क्वालिटी प्रभावित होती है। इसलिए स्टील प्लांट में इंपोर्टेड कोल का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। बीएसपी में विदेशी कोल का इस्तेमाल सपोर्टिंग कोल के रूप में किया जाता है।
बीएसपी में 70% इंपोर्टेड कोल का हो रहा इस्तेमाल
सेल की सभी यूनिट्स में स्टील प्रोडक्शन के दौरान इंपोर्टेड कोल का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन सबसे अधिक उपयोग बीएसपी में हो रहा है। यहां इस्तेमाल किए जाने वाले स्कूल में 70 फीसदी इंपोर्टेड 30 फीसदी स्थानीय कोयला होता है। इस वजह से पूरे साल इसकी डिमांड बनी रही है। विदेशों से इसकी खरीदी की जाती है।