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सीएम शिवराज सिंह का बड़ा सियासी दांव, 20 लाख कर्मचारियों को मिलेगा 10 लाख तक का लाभ

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MP Politics: रेवड़ी कल्चर को लेकर BJP भले ही विरोधी दलों पर हमलावर हो, लेकिन इस मामले में शिवराज सरकार की सोच उससे अलग नहीं हैं।

MP Politics: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव एक साल बाद होने हैं, लेकिन वहां पर सियासी सरगर्मी अभी से शुरू हो गया है. पिछले कुछ दिनों से एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ लगातार सरकार बनने पर एक से बढ़कर एक रेवड़ी बांटने का वादा लोगों से कर रहे हैं. इसके जवाब में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी रेवड़ी कल्चर का सहारा लेने का काम शुरू कर दिया है. सीएम प्रदेश के 20 लाख कर्मचारियों को एक ऐसे सौगात देने जा रहे हैं, जिसकी घोषणा के बाद विरोधी दलों को अपनी रणनीति पर फिर से पुनर्विचार करना होगा.

दरअसल, एमपी के 20 लाख कर्मचारियों को सरकार नये साल का तोहफा देने जा रही है. प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ बीमा योजना लाई जा रही है. योजना के लागू होने के बाद प्रदेश के 20 लाख कर्मचारियों को कैशलैश इलाज की सुविधा मिल सकेगी.

5 से 10 लाख तक का मुफ्त में होगा इलाज
मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना लागू होने के बाद प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ सेवानिवृत्त कर्मचारियों व उनके परिवारों को सामान्य इलाज के लिए पांच लाख रुपए और गंभीर इलाज के लिए दस लाख रुपए तक नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएगी जाएगी. इसके लिए कर्मचारियों के वेतन एवं पेंशन से ढाई सौ रुपए से लेकर एक हजार तक मासिक अंशदान लिया जाएगा, शेष राशि सरकार मिलाएगी. इस योजना का संचालन निरामय सोसायटी के माध्यम से करने की प्लानिंग है.

उत्तराखंड की राह पर एमपी सरकार
सरकारी कर्मचारियों के नि:शुल्क इलाज के लिए प्रदेश सरकार ने फरवरी 2020 में घोषणा की थी. बकायदा इसका आदेश भी जारी हुआ था,लेकिन क्रियान्वयन अब तक नहीं हो सका. बता दें कि सरकारी कर्मचारियों को यह सौगात अब तक उत्तराखंड की सरकार दे रही थी. उत्तराखंड सरकार की राह पर अब एमपी सरकार भी चल पड़ी है.

बड़े अस्पतालों में भी हो सकेगा इलाज
बता दें कि प्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से सरकार से नि:शुल्क इलाज की मांग करते आ रहे हैं. अब तक द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को स्वास्थ्य भत्ते के रूप में एक से तीन हजार रुपए तक मिलते आये हैं, लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद प्रदेश के 20 लाख कर्मचारी बीमार होने की स्थिति में प्रदेश व देश के बड़े अस्पतालों में अपना इलाज करा सकेंगे और पैसे के लिए परेशान भी नहीं होना पड़ेगा.