जर्मनी में मंदी के बाद अब अमेरिका के डिफॉल्ट का खतरा बढ़ गया है. सबसे ज्यादा खतरा न्यूयॉर्क में है. अमेरिकी डेट सीलिंग का कोई उपाय न निकलने पर यहां 5 जून के बाद मंदी की एंट्री हो सकती है.
अमेरिकी सरकार ने अगर इसका कोई हल नहीं निकाला तो यहां मंदी आने के साथ दुनिया के कई देशों पर असर पड़ेगा. अमेरिका में 83 लाख नौकरियां खत्म होंगी. दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. काउंटडाउन शुरू हो चुका है.
अमेरिका में बिगड़ते हालात की बात करते हुए खबरों में बार-बार एक्स डेट का जिक्र किया जा रहा है. जानिए क्या है एक्स डेट और इसे अमेरिका अर्थव्यवस्था का क्या कनेक्शन है.
क्या है X डेट का फंडा और कौन लेकर आया यह शब्द?
अमेरिका की ट्रेजर सेक्रेट्री जेनेट येलेन का कहना है कि अगर कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया जाता है तो 5 जून तक अमेरिका डिफॉल्ट घोषित हो सकता है. इस हालात के लिए बार-बार एक्स डेट शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है. एक्स डेट वो तारीख होती है जब सरकार के पास खर्चों को उठाने और भुगतान करने के लिए पर्याप्त रकम (फाइनेंशियल रिजर्व) नहीं होती. अमेरिका में 5 जून की तारीख को एक्स डेट बताया जा रहा है.
एक्स डेट शब्द को लाने में अमेरिका के बाईपार्टिशन पॉलिसी सेंटर के एक्सपर्ट शाई अकबस का रोल रहा है. वह कहते हैं कि यह ऐसा दिन होता है जब फेडरल गवर्नमेंट अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ हो जाती है. अगर पॉलिसीमेकर इस तारीख तक कोई बड़ा निर्णय नहीं लेते हैं तो इसके अगले दिन वो व्यवस्था या देश डिफॉल्ट घोषित हो जाता है.
वो फैक्टर जिससे एक्स डेट प्रभावित होती है?
कई ऐसे फैक्टर्स हैं जो एक्स डेट को प्रभावित करते हैं. यानी जिनकी वजह से यह स्थिति बनती है. जैसे- पिछले साल कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क और दूसरे हिस्से में मौसमी आपदाएं आईं. इसने सरकार को मिलने वाले टैक्स पर असर छोड़ा. सरकार के पास बड़े स्तर पर पहुंचने वाली रकम तेजी से घटी. इनकम टैक्स की में देरी का सीधा असर भी इस पर पड़ा है. कैश फ्लो घटने का असर अर्थव्यवस्था पर देखने को मिला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि 15 जून यहां टैक्स जमा होने पर हालात सुधर सकते हैं.
कैसे चर्चा में आई एक्स डेट?
कई रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने खुले तौर पर एक्स डेट को लेकर बहस की. उन्होंने अमेरिका की ट्रेजर सेक्रेट्री जेनेट येलेन से एक्स डेट को लेकर सवाल-जवाब किए. रेप बायरॉन डोनाल्ड्स का कहना है कि हर कोई हम उस जादुई तारीख के बारे में बता रहा है, लेकिन क्या कोई यह बताएगा कि इसका गणित क्या है. हर कोई इसका इस सवाल का जवाब जानना चाहता है.
दिग्गज रेटिंग एजेंसी फिच का कहना है कि अगर कर्ज की सीमा को सांसद नहीं बढ़ाते हैं तो हमें अमेरिका की रेटिंग घटानी होगी. अमेरिका के डिफॉल्ट होने की कगार पर पहुंचने के कारण दूसरे कई देश तनाव में आ गए हैं.