भारत में पिछले कुछ सालों के दौरान शराब की बिक्री और उपभोग लगातार बढ़ रहा है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान तो भारत के लोगों ने इस मामले में नया रिकॉर्ड बना दिया. अल्कोहल इंडस्ट्री के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) की एक ताजा रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं.
पिछले साल की बिक्री का आंकड़ा
सीआईएबीसी के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में बनी विदेशी शराब यानी आईएमएफएल की बिक्री मात्रा के लिहाज से 14 फीसदी बढ़कर 38.5 करोड़ पेटी तक पहुंच गई. एक पेटी में 9 लीटर शराब होती है. इस तरह से देखें तो पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारतीयों ने करीब 350 करोड़ लीटर शराब की खरीदारी की. यह अब तक किसी एक वित्त वर्ष में हुई सबसे ज्यादा बिक्री है. यह आंकड़ा कोविड महामारी से पहले यानी वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में करीब 12 फीसदी ज्यादा है.
बढ़ रही है महंगी शराबों की बिक्री
सीआईएबीसी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान सबसे ज्यादा बिक्री प्रीमियम कैटेगरी में हुई. इस कैटेगरी में 1000 रुपये प्रति 750 मिली से अधिक कीमत वाली शराब को रखा जाता है. आंकड़ों के अनुसार, इस प्रीमियम खंड में शराब की बिक्री पिछले वित्त वर्ष के दौरान 48 फीसदी बढ़ी. वहीं 500-1000 रुपये प्रति 750 एमएल से कम की कैटगरी का हिस्सा कम होकर 20 फीसदी पर आ गया है. शेयर के मामले में सस्ती शराब अभी भी टॉप पर है. वॉल्यूम के हिसाब से कुल बिक्री में इनका हिस्सा करीब 79 फीसदी रहा है.
इस साल इतनी हो सकती है बिक्री
सीआईएबीसी का मानना है कि चालू वित्त वर्ष भी शराब की बिक्री में तेजी का यह ट्रेंड बरकरार रह सकता है. सीआईएबीसी को चालू वित्त वर्ष में शराब की बिक्री में आठ फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है. इस तरह 2023-24 में शराब की कुल बिक्री करीब 42 करोड़ पेटी तक पहुंच सकती है. इसका मतलब हुआ कि 2023-24 में करीब 380 करोड़ लीटर शराब की बिक्री हो सकती है. सबसे ज्यादा बिक रही है ये शराब रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बिकने वाली शराब में व्हिस्की अव्वल है. शराब की कुल बिक्री में इसकी 63 फीसदी हिस्सेदारी है. कई सालों की लगतार गिरावट के बाद पिछले वित्त वर्ष में जिन की बिक्री में भी तेजी देखी गई.
दक्षिणी राज्यों का सबसे ज्यादा हिस्सा
क्षेत्रों के हिसाब से बात करें तो पिछले वित्त वर्ष के दौरान पश्चिमी राज्यों में बिक्री सबसे ज्यादा 32 फीसदी बढ़ी. इसी तरह पूर्वी राज्यों में 22 फीसदी, उत्तरी राज्यों में 16 फीसदी और दक्षिणी राज्यों में 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. हालांकि कुल बिक्री में दक्षिणी राज्यों का योगदान अभी भी सबसे ज्यादा है. ये कुल बिक्री में अभी 58 फीसदी का योगदान दे रहे हैं. वहीं पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों का योगदान 22-22 फीसदी है, जबकि उत्तरी राज्य 16 फीसदी का योगदान दे रहे हैं. राज्यों में वृद्धि के मामले में पंजाब सबसे आगे रहा, जहां पिछले वित्त वर्ष में बिक्री में 54 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.