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CM Bhupesh Baghel : भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम बघेल, हरेली तिहार की दी बधाई

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सीएम भूपेश बघेल।

सीएम भूपेश बघेल।

Bhet Mulakat program : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में रविवार को छत्तीसगढ़ के कलाकारों से रू-ब-रू हुए। उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार विजेता, राज्य पुरस्कार विजेता, लोक कलाकार, फिल्म आर्टिस्ट, तकनीशियन और निर्माता-निर्देशकों से मुलाकात कर विभिन्न मुददों पर चर्चा की।

मुख्यमंत्री ने हरेली तिहार की बधाई एवं शुभकामनाएं दी और कलाकारों का स्वागत किया। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ राज्य के सांस्कृतिक एवं पारंपरिक धरोहरों को बचाने और संवारने में कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान है। श्री बघेल ने छग की कला संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा कि यहां हर ब्लाक में मॉडल जैतखाम बनाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने नाचा के पुरोधा स्व. हबीब तनवीर, चंदैनी गोंदा के संस्थापक स्व. खुमान साव का स्मरण करते हुए उनके अतुलनीय योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, लोककला के जरिए छत्तीसगढ़ को विशेष पहचान दिलाई। उन्होंने कहा, कलाकार जब अपनी प्रस्तुति देते हैं तो वह समाज की जनभावना को रेखांकित और प्रस्तुति के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, लोक विधा कर्मा के अनेकों शैलियां प्रचलित हैं, अनेक विधाओं में नई शैलियां कलाकारों ने निकाली हैं। छत्तीसगढ़ में गाई जाने वाली पंडवानी पूरे देश में नहीं गाई जाती। भरथरी, पंथी जैसी विधाओं को अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने का काम हमारे छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने किया है। इस मौके पर संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य, पद्मश्री भारती बंधु, पद्मश्री मदन चौहान, पद्मश्री उषा बारले, निर्माता-निर्देशक मनोज वर्मा, सतीश जैन, रजनी रजक समेत प्रदेशभर के कलाकार उपस्थित थे।

हर विकासखंड में बनेगा मॉडल जैतखाम

इस मौके पर सीएम ने कहा, छत्तीसगढ़ की खानपान, हमारी बोली भाखा, संगीत, गीत, नृत्यशैली सबको उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक जोड़ने का काम कलाकारों ने किया है। जब एक दौर था, जिसमें नाचा मशाल जलाकर किया जाता था। फिर माइक सेट का दौर आया। उन्होंने कहा कि रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सरकार राम वन गमन परिपथ को विकसित करने का काम काम कर रही है।

अब यहां संस्कृति परंपरा की चर्चा

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में अपने बचपन से जुड़े अपने अनुभव भी सुनाए। उन्होंने कहा, मेरा बचपन कलाकारों से जुड़ा रहा, लोककला के ज्यादातर विधाओं का प्रभाव मेरे जीवन में पड़ा। छत्तीसगढ़ की पहले जब चर्चा होती थी तो नक्सल घटना, जवानों की शहादत की खबरें आती थी। अब यहां की संस्कृति और परंपरा की चर्चा होती है। उन्होंने कहा, हमने हर वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई, कलाकारों को भी इसका लाभ मिल रहा है, मुझे इसकी खुशी है।