कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा था कि भारत साल 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा. अब इस बात की तस्दीक देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी कर दी है.
एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने अपने नोट में कहा कि अनुमान से दो साल पहले, वित्त वर्ष 2028 यानी साल 2027 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा.
एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर गोल्डीलॉक्स के दौर का आनंद ले रही है. उन्होंने बताया कि भारत मौजूदा विकास दर पर जापान और जर्मनी से आगे निकल जाएगा और ग्लोबल जीडीपी में 4 फीसदी हिस्सेदारी रखेगा. इससे पहले देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान देश तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा.
आईएमएफ ने लगाया अनुमान
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में भारत की विकास दर 8.1 फीसदी होने की संभावना है, जिससे कुल विकास दर 6.5 फीसदी हो जाएगी. भारत ने वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में 13.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की. यह पूर्वानुमान वित्त वर्ष 2024 में 6.5 फीसदी की वृद्धि के आरबीआई के अनुमान के अनुरूप है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 6.1 फीसदी के संशोधित पूर्वानुमान से ज्यादा है. इस सप्ताह की शुरुआत में, आईएमएफ ने मजबूत घरेलू निवेश के कारण अपने ग्रोथ प्रिडिक्शंस को 0.2 फीसदी अंक तक संशोधित किया.
कितनी रफ्तार की होगी जरुरत
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत को इस टारगेट को पाने के लिए सालाना 11-11.5 फीसदी नॉमिनल ग्रोथ की जरुरत होगी, जो 6.5-7 फीसदी की ग्रोथ के साथ प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि अनिश्चितताओं से तबाह दुनिया में 6.5-7 फीसदी की ग्रोथ न्यू नॉर्मल है. शोधकर्ताओं ने कहा कि सही पॉलिसी पर्सपेक्टिव और ग्लोबल जियो पॉलिटिक्स में रीअलाइंमेंट के साथ मौजूदा अनुमानों में बढ़ोतरी हो सकती है.
5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनेगा भारत
एसबीआई के अनुमान के मुताबिक, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ भारत 5 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा भी पार कर जाएगा. उत्तर प्रदेश को आधी रात के सूरज की भूमि करार देते हुए, एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र वित्त वर्ष 2028 तक 500 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएंगे, जो भारत की कुल जीडीपी का लगभग एक चौथाई है.

