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10 नेता-10 बड़े हमले… दो दिन में उठे वो बड़े सवाल, जिन पर आज PM मोदी से जवाब चाहता है विपक्ष…

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मणिपुर समेत अन्य मसलों पर संसद गरम है. विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) पर दो दिन की चर्चा के बाद अब बारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के भाषण की है.

पीएम मोदी गुरुवार को अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा का संसद में जवाब देंगे. पीएम के संबोधन का हर किसी को इंतजार है. माना जा रहा है कि पीएम आज विपक्षी नेताओं के हर एक आरोप पर चुन-चुनकर जवाब देंगे और करारा हमला बोलेंगे. इससे पहले भी पीएम ने संसद में विपक्षी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया है. आज फिर वही मौका है. मणिपुर के मुद्दे पर पीएम के भाषण की मांग को लेकर विपक्ष सदन का बहिष्कार करता रहा है.

बता दें कि विपक्षी की तरफ से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने 26 जुलाई को एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया था. यानी पहले चर्चा और फिर सरकार को लोकसभा में बहुमत सिद्ध करना है. हालांकि, एनडीए सरकार के पास 331 सांसदों के साथ बहुमत है, जिसमें बीजेपी के पास 303 सांसद हैं. जबकि विपक्षी गुट I.N.D.I.A के पास कुल 144 सदस्य हैं. वहीं, गैर-गठबंधन दलों के सांसदों की संख्या 70 है. स्पष्ट है कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिरना तय है.

कांग्रेस और BRS लेकर आई अविश्वास प्रस्ताव

बताते चलें कि कोई भी लोकसभा सांसद (जिसके पास 50 सहयोगियों का समर्थन हो) किसी भी समय मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है. DMK, TMC, NCP, JDU, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और वाम दलों ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है. इसके अलावा, भारत राष्ट्र समिति के सांसद नामा नागेश्वर राव ने भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. 20 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा.

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पीएम आज 4 बजे देंगे अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब

10 अगस्त को दोपहर 12 बजे से सदन में फिर से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होगी. शाम 4 बजे पीएम नरेंद्र मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में जवाब देंगे. पीएम के भाषण के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी. मोदी सरकार के खिलाफ यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इससे पहले 20 जुलाई 2018 को तेलुगू देशम पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाई थी.

मणिपुर को लेकर क्या सवाल कर रहा विपक्ष?

– विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री अब तक मणिपुर क्यों नहीं गए?
– मणिपुर पर पीएम को पहली बार बोलने में 80 दिन क्यों लग गए? सिर्फ 30 सेकेंड का बयान दिया और हिंसा पर नहीं, बल्कि हैवानियत के वीडियो पर दुख जताया. ना सहानुभूति जताई और ना मणिपुर में शांति की अपील की.
– मणिपुर के सीएम को बर्खास्त क्यों नहीं किया गया? मणिपुर के सीएम ने खुद स्वीकार किया है कि राज्य में बड़ी घटनाएं हुई हैं.

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विपक्ष के वो 10 बड़े नेता… जिन्होंने सरकार पर बोला हमला

1. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी: सांसद के रूप में बहाल होने के बाद बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहली बार संसद पहुंचे और मणिपुर के मसले पर प्रधानमंत्री मोदी को घेरा. राहुल ने कहा, हमारे प्रधानमंत्री आज तक मणिपुर नहीं गए. उनके लिए मणिपुर हिंदुस्तान नहीं है. आप हिंदुस्तान में मणिपुर को मारना चाहते हो. आप भारत माता के हत्यारे हो. आज की सच्चाई ये है कि मणिपुर नहीं बचा है. आपने मणिपुर को दो भाग में बांट दिया है, तोड़ दिया है. मणिपुर में हिंदुस्तान की हत्या हुई है. आप मणिपुर में भारत माता के रखवाले नहीं, हत्यारे हो. आप देशभक्त नहीं हो. आप देशद्रोही हो.

2. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई: अविश्वास प्रस्ताव हम मणिपुर के लिए लेकर आए हैं. देश के मुखिया होने के नाते पीएम सदन में आएं. अपनी बात रखें. अपनी संवेदना प्रकट करें और उस पर सभी पार्टियां समर्थन दें और मणिपुर को संदेश जाए कि दुख की इस घड़ी में पूरा सदन उसके साथ है. हम मणिपुर में शांति चाहते हैं. प्रधानमंत्री महोदय ने एक मौन व्रत लिया कि ना लोकसभा में कुछ बोलेंगे, ना राज्यसभा में कुछ बोलेंगे, इसलिए हम अविश्वास प्रस्ताव लाकर प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत तोड़ना चाहते हैं. हम यह पूछना चाहते हैं कि उन्होंने मणिपुर हिंसा पर अब तक कुछ क्यों नहीं कहा.

3. सपा सांसद डिंपल यादव: मणिपुर की जो घटना हुई है, वह बहुत ही संवेदनशील घटना है. इस मामले में सरकार का रवैया बहुत ही संवेदनहीन रहा है. यह पूरी तरह से मानवाधिकार का उल्लंघन है. हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. पूरे विश्व में इस कांड की निंदा हुई. इस घटना से हम भारतवासियों का सिर शर्म से झुक गया. इसका कौन जिम्मेदार है. हम सरकार से जानना चाहते हैं कि कितने लोगों पर एक्शन हुआ है, कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं. करीब 60 हजार लोग विस्थापित हुए हैं. 14 हजार बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. क्या यह भाजपा की राजनीतिक और नैतिक जिम्मेदारी नहीं है. क्या मणिपुर हमारा परिवार नहीं है. क्या हमारे देश का अंग नहीं है तो फिर उसके साथ यह अलग व्यवहार क्यों किया जा रहा है. बीजेपी नफरत की राजनीति करती है. वह पूरी तरह से इसके लिए जिम्मेदार है.

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4. एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले: मणिपुर में जो हुआ, वह शर्मनाक है. मैं मांग करती हूं कि मुख्यमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. क्या आप ऐसा होने दे सकते हैं और इस देश की महिलाओं को शर्मसार कर सकते हैं? अपनी अंतरात्मा से पूछें कि आप इस सरकार का समर्थन कैसे कर सकते हैं. आप इसकी अनुमति कैसे दे सकते हैं? ये उनके और हमारे बीच की बात नहीं है. ये महिलाओं की डिग्निटी की बात है. वो किसी की बहन, किसी की बेटी, किसी की पत्नी हैं. किसी की इज्जत उछालोगे और सरकार चुप रहेगी?

5. टीएमसी सांसद सौगत रॉय: मणिपुर में मई के बाद से जो कुछ हुआ है, उसके लिए वहां राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए. जब मणिपुर जल रहा था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश यात्रा पर थे. मई से जुलाई के बीच प्रधानमंत्री ने सात देशों का दौरा किया, लेकिन उन्हें मणिपुर जाने का वक्त नहीं मिला. यह सरकार हृदयविहीन सरकार है. मणिपुर के लोगों की सुध तक नहीं ली. मणिपुर में भयावह स्थिति है. प्रधानमंत्री ने 80 दिन बाद मुंह खोला लेकिन वो मणिपुर नहीं गए. आज मणिपुर में जातियां एक-दूसरे पर हमला कर रही हैं. वो हथियारों के साथ उसका जवाब दे रही हैं. विदेशी हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है. यह सब ड्रग्स के जरिए कमाए गए पैसों से हो रहा है.

6. डीएमके सांसद टीआर बालू: जनता ने उन्हें (पीएम मोदी) संसद में आने के लिए चुना है, उन्हें कौन रोक रहा है? मणिपुर के अल्पसंख्यकों को बेरहमी से मारा गया है. 143 लोग मारे गए हैं. 65,000 लोग राज्य छोड़कर चले गए हैं. मणिपुर की सड़कों पर दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया गया और उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. ना तो प्रधानमंत्री संसद आ रहे हैं. ना उन्होंने मणिपुर का दौरा किया. जबकि ‘INDIA’ के सांसदों ने मणिपुर का दौरा किया और समझा कि वहां क्या हुआ है. विपक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.

7. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला: प्यार पैदा करो, नफरत नहीं. हमसे नफरत मत करो, हमारी बात सुनो. कश्मीर में क्या विकास हो रहा है? मुद्दों से निपटने का सरकार का तरीका गलत है. यह लोगों का प्यार है जो हमें एक साथ रखेगा. आप कहते हैं कि कश्मीर में कोई आतंकवाद नहीं है, लेकिन पाकिस्तान सक्रिय है… प्यार ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. हमने कश्मीरी पंडितों को घर वापस लाने की कोशिश की. जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है. हमें पाकिस्तानी मत कहिए. क्या आप जानते हैं कि मेरे कितने मंत्री मारे गए थे कि हम भारत का हिस्सा बन सकें? प्रधानमंत्री केवल ‘एक रंग’ का नहीं बल्कि पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. पिछले 10 वर्षों में कितने कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी में वापस गए हैं? कोई नहीं गया. यह कहना गलत है कि केंद्र ने कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया.

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8. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी: मणिपुर के साथ म्यांमार की सरहद लगती है. म्यांमार के रिश्ते चीन से जगजाहिर हैं. इसलिए मणिपुर में जो भी अस्थिरता होती है तो उसका असर देश में ही नहीं पड़ता है उसका असर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है. इसी संदर्भ में मैं चीन का भी जिक्र करता हूं. वर्ष 2020 अप्रैल में नियंत्रण रेखा के पार भारत की सरहद में घुसपैठ हुई. घुसपैठ एक जगह पर नहीं हुई, घुसपैठ 8 जगह पर हुई. मैं सरकार से ये पूछना चाहता हूं कि आज 37 महीने हो गए उस घुसपैठ को जारी हुए, क्या सरकार इस घुसपैठ पर ये सुनिश्चित कर पाई है कि इस घुसपैठ के पीछे चीन की राजनीतिक मंशा क्या है. आज तक इस सदन में चीन पर चर्चा नहीं हुई. क्या ऐसी थियेटर लेवल की घुसपैठ हो और हमारी खुफिया तंत्र को पता ना लगे. चीन के साथ 18 राउंड की बातचीत का क्या हल निकला?

9. जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह: मणिपुर की अशांति नागालैंड और मिजोरम तक फैल सकती है और पूरी पूर्वोत्तर सीमा को प्रभावित कर सकती है. आप मणिपुर को हल्के में नहीं ले सकते. आज जो घटना मणिपुर में हुई, कल मिजोरम में होगी, परसों नागालैंड में हो सकती है और इसका असर पूरी पूर्वोत्तर सीमा पर पड़ेगा. आप मामले की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं. मणिपुर में ‘डबल इंजन सरकार’ है, फिर भी राज्य के लोग सरकार पर विश्वास खो रहे हैं. दोनों समुदायों के बीच बहुत नफरत है. दोनों समुदायों ने सरकार पर विश्वास खो दिया है. वे मणिपुर की स्थिति के लिए दोनों सरकारों (केंद्र और राज्य) को दोषी ठहरा रहे हैं. मणिपुर जल रहा है और एक भी शब्द नहीं बोला गया है. इतनी बड़ी घटना हुई और पीएम ने एक भी शब्द नहीं बोला. क्या यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी नहीं है कि वह इस मामले पर कुछ कहें?

10. शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत: मणिपुर में हिंसा हुई. महिलाओं पर अत्याचार हुए, फिर भी सरकार 70 दिनों तक चुप रही. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद प्रधानमंत्री 36 सेकेंड तक बोले. गोगाई ने मणिपुर का प्रस्ताव रखा. फिर ‘1963 और 1976 में क्या हुआ?’ संगरूर से सांसद सिमरनजीत सिंह मान: अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार रोका जाना चाहिए. दुनिया भर में सिखों की हत्याएं रुकनी चाहिए. मणिपुर में जो हो रहा है उसे देखकर हमें दुख हो रहा है. यह प्रस्ताव कांग्रेस ने नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष ने पेश किया है.

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अमित शाह और स्मृति ईरानी ने ये कहा..

गृह मंत्री अमित शाह: मणिपुर में जो हुआ, वो शर्मनाक है. उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है. मैं विपक्ष की इस बात से सहमत हूं कि मणिपुर में हिंसा का तांडव हुआ है. हमें भी दुख है. ये भ्रम फैलाया गया कि सरकार मणिपुर पर चर्चा नहीं करना चाहती. हम पहले दिन से चर्चा पर तैयार थे, लेकिन विपक्ष चर्चा नहीं हंगामा चाहता था. विपक्ष कहता है कि राज्य में आर्टिकल 356 (राष्ट्रपति शासन) क्यों नहीं लगाया. यह तब लगता है जब हिंसा के वक्त राज्य सरकार सहयोग ना करे. हमने डीजीपी बदला, उन्होंने स्वीकार किया. हमने चीफ सेक्रेटरी बदला, उन्होंने स्वीकार कर लिया. सीएम तब बदलना पड़ता है जब सहयोग ना करे, वहां के सीएम सहयोग कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी: मणिपुर खंडित नहीं है. यह मेरे देश का अभिन्न अंग है. कांग्रेस का इतिहास खून से सना हुआ है. पहली बार राष्ट्र के इतिहास में भारत माता की हत्या की बात कही गई. कांग्रेस पार्टी यहां पर तालियां बजाती रही. जो भारत की हत्या पर ताली पीटती है, उसने इस बात का संकेत पूरे देश को दिया कि मन में गद्दारी किसके है? मणिपुर खंडित नहीं है, विभाजित नहीं है. देश का हिस्सा है. राहुल गांधी में हिम्मत है तो डीएमके के अपने साथी का खंडन करके बताएं.