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GDP Growth: इन वजहों से पकड़ी भारत ने रफ्तार, रिकॉर्ड जीडीपी के पीछे ये हैं कारण

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सरकार ने वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़ें जारी कर पूरी दिखा दिया है है कि भारत की इकोनॉमिक रफ्तार सबसे तेज है. आंकड़ों के अनुसार पहली तिमाही में भी जीडीपी की ग्रोथ रेट एक साल के हाई पर आते हुए 7.8 फीसदी पर पहुंच गई है.

इस तेजी के प्रमुख कारण केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किया जाने वाला कैपिटल एक्सपेंडिचर है. साथ ही स्ट्रांग कंजंप्शन डिमांड भी माना जा रहा है.

सर्विस सेक्टर को भी इसका श्रेय दिया जा सकता है. तिमाही में मौजूदा कीमतों पर नॉमिनल जीडीपी में 8 फीसदी की तेजी देखने को मिली. जबकि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में यह 27.7 फीसदी थी. तो आइए उन कारणों की ओर चलते हैं, जिनकी वजह से भारज की जीडीपी में जबरदस्त रफ्तार देखने को मिल रही है.

सभी सेक्टर में तेजी बनी वजह

  1. ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्टेशन और कंयूनिकेशन समेत कांटैक्ट इंटेसिव सेक्टर्स चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में 9.2 फीसदी का ग्रोथ देखने को मिला था. पिछली तिमाही की तुलना में इस संख्या में मामूली वृद्धि देखी गई है जब यह 9.1 फसदी थी.
  2. रियल एस्टेट और फाइनेंशियल सेक्टर में भी सालाना आधार पर 12.2 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
  3. कंसट्रक्शन, माइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स में भी इजाफा देखने को मिला है. इन तीनों में क्रमश: 7.9 प्रतिशत, 5.8 प्रतिशत और 4.7 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली.
  4. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कृषि और बिजली सेक्टर में 3.5 फीसदी और 2.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.
  5. निजी खपत, जिसका जीडीपी में हिस्सा 57.3 फीसदी था, वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 6 फीसदी की दर से बढ़ा है.

सर्विस सेक्टर में आई तेजी

अर्थशास्त्रियों ने इस ग्रोथ का सबसे ज्यादा श्रेय भारत के सर्विस सेक्टर में सुधार को दिया है. राहुल बाजोरिया ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि हवाई और रेल यात्रा के लिए हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में लगातार स्टेबल डिमांड की पुष्टि करते हैं, हालांकि क्षमता की कमी, एक्टिविटी के प्री-कोविड लेवल तक पहुंची है, उसके बाद भी पिछली तिमाही की तुलना में गति में कुछ कमी देखने को मिली है. आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने विकास दर का अनुमान लगाते हुए कहा कि सर्विस सेक्टर की मांग में लगातार बढ़ोतरी और इंवेस्टमेंट एक्टिविटी में सुधार, विशेष रूप से सरकारी कैपेक्स में तेजी की वजह से वित्त वर्ष में तेजी देखने को मिली है.

कैपिटल एक्सपेंडिचर में में बढ़ोतरी भी एक वजह

कैपिटल एक्सपेंडिचर एक दूसरा अहम फैक्टर है जिसने जीडीपी ग्रोथ में इजाफा करने में अहम योगदान दिया है. नरेंद्र मोदी की सरकार ने हाल के महीनों में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर काफी जोर दिया है. अप्रैल-जून 2023 के दौरान कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़कर लगभग 2,78,500 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान 1,75,000 करोड़ रुपये था.

केंद्र सरकार ने संभवतः पहली तिमाही में बजट राशि का 27.8 प्रतिशत खर्च किया, जबकि राज्य सरकारों का खर्च 12.7 प्रतिशत था. इसके अलावा, केंद्र और 23 राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मणिपुर और मेघालय को छोड़कर) द्वारा कैपिटल एक्सपेंडिचर सालाना आधार पर 59.1 प्रतिशत और 76 प्रतिशत बढ़ा.

आरबीआई का अनुमान

आरबीआई को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत 6.5 प्रतिशत की दर से विकास करेगा. हालांकि, अल नीनो चिंताओं के कारण असमान मानसून भारत के कंजंप्शन रिवाइवल को प्रभावित कर सकता है, ऐसे सिनेरियो में जहां ग्लोबल ग्रोथ रेट धीमी हो रही है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, 2023 के दौरान मानसून वर्षा 36 फीसदी की कमी के साथ अगस्त समाप्त होने के बाद “सामान्य से नीचे” या “सामान्य” के निचले स्तर पर रहने की उम्मीद है, जो 122 वर्षों में सबसे खराब है.

आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा कि हमें इस वर्ष सामान्य से कम या सामान्य से कम मानसूनी वर्षा दर्ज करने की संभावना है, लेकिन हम अपना पूर्वानुमान नहीं बदल रहे हैं. हमने अनुमान लगाया था कि हमें +/-4 फीसदी एरर मार्जिन के साथ 96 फीसदी मानसूनी बारिश दर्ज करने की संभावना है. हम उस एरर मार्जिन के भीतर होंगे.