Home समाचार निर्वाचन आयोग ने जिन 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा की...

निर्वाचन आयोग ने जिन 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा की है, यहां 7 पार्टियों ने दोनों राष्ट्रीय दलों की क्रमबद्ध सूचि प्रेषित करते है|

60
0

निर्वाचन आयोग ने जिन 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा की है, उनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच अब तक सीधा मुकाबला रहा है, लेकिन इस बार यहां 7 पार्टियों ने दोनों राष्ट्रीय दलों की क्रमबद्ध सूचि प्रेषित करते है|

मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस को 45-45 प्रतिशत वोट मिल सकता है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 13-125 सीटें और बीजेपी को 104-116 सीटें मिलने का अनुमान है.

राजस्थान में बीजेपी को 47% और कांग्रेस को 42% वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है. यहां बाकी दलों को 11 प्रतिशत वोट मिलने की बात कही गई थी. छत्तीसगढ़ में भी कांटे की लड़ाई है. कांग्रेस को 45 से 51 सीटें और बीजेपी को 39 से 45 सीटें मिल सकती हैं.

ऐसे में तीनों राज्यों में इन 7 पार्टियों की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है. हालांकि, इनमें से कुछ पार्टियों को कांग्रेस और बीजेपी साधने की कवायद में जुटी है.

भारतीय आदिवासी पार्टी- राजस्थान के आदिवासी नेताओं ने सितंबर 2023 में भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) की स्थापना की है. पार्टी के अधिकांश नेता भारतीय ट्राइबल पार्टी में रह चुके हैं. 2018 में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने विधानसभा की 2 सीटों पर जीत हासिल की थी.

ट्राइबल पार्टी के दोनों विधायक अब भारतीय आदिवासी पार्टी के साथ हैं. इस पार्टी का मुख्य जनाधार डूंगरपुर, सलम्बूर, प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा में है. भारतीय आदिवासी पार्टी राजस्थान विधानसभा के 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.

भारतीय आदिवासी पार्टी के नेता सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं. संगठन में पुराने नेताओं के साथ-साथ नए लोगों को भी जगह दी गई है. राजस्थान की 200 में से 25 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है. इनमें से अधिकांश सीटों पर अभी कांग्रेस का कब्जा है.

पिछले चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी और 1 सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी. बीटीपी को 0.7 प्रतिशत वोट मिले थे. जानकारों का कहना है कि इस बार अगर आदिवासी के युवाओं और बुजुर्गों का सामंजस्य बन गया, तो भारतीय आदिवासी पार्टी दोनों दल का खेल बिगाड़ सकती है.

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी- नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी भी इस बार कांग्रेस और बीजेपी का खेल खराब करने की तैयारी में है. 2018 में आरएलपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी. 2 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे.

हनुमान बेनीवाल पहले एनडीए गठबंधन का हिस्सा रह चुके हैं. 2020 में किसान आंदोलन की वजह से उन्होंने मोदी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

2018 में आरएलपी को 2.4 प्रतिशत वोट मिले थे. जाटलैंड नागौर, बाड़मेर और जोधपुर में पार्टी की मजबूत पकड़ है. पार्टी ने शुरू में 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी, लेकिन बेनीवाल अब कम सीटों पर मजबूती से लड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

राजस्थान में जाट करीब 10-12 प्रतिशत के आसपास हैं. पहले जाट कांग्रेस और बीजेपी के वोटर्स माने जाते थे, लेकिन 2018 में आरएलपी ने लगभग ढाई प्रतिशत वोट झटल लिए. अगर पार्टी का परफॉर्मेंस इस बार पहले की तुलना में बेहतर रहती है, तो कांग्रेस और बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है.

जोगी कांग्रेस- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी के नाम पर बनी इस पार्टी के कर्ता-धर्ता वर्तमान में अमित जोगी हैं. 2018 में इस पार्टी के सिंबल पर 5 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. जोगी कांग्रेस ने इस बार सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

2018 के चुनाव में भले जोगी कांग्रेस को 5 सीटों पर जीत मिली हो, लेकिन पार्टी 10 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस का खेल खराब करने में कामयाब रही थी. जोगी कांग्रेस के 2 उम्मीदवार तो दूसरे नंबर पर भी रहे थे. पार्टी को 2018 में कुल 7.5 प्रतिशत वोट मिले थे.

कोरबा, राजनांदगांव, मारवाही इलाके में जोगी कांग्रेस की मजबूत पकड़ है. चुनाव में अगर पार्टी का परफॉर्मेंस बढ़, तो बीजेपी और कांग्रेस की टेंशन बढ़ सकती है. हालांकि, अमित जोगी की राह भी इस बार आसान नहीं रहने वाली है.

अजित जोगी के निधन के बाद 2021 में अमित अपने पारंपरिक सीट को नहीं बचा पाए थे, इसलिए इस बार राह आसान नहीं रहने वाली है.

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में मजबूत पकड़ रखने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी इस बार कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती है. गोंगपा की ताकत को देखते हुए कांग्रेस ने उससे गठबंधन पर बात भी की थी, लेकिन सीटों को लेकर पेंच नहीं सुलझ पाया.

मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से गोंगपा का आधार बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, सिवनी, छिंदवाड़ा और बैतूल और छत्तीसगढ़ के कोरबा में है. 2018 में मध्य प्रदेश की 2 और छत्तीसगढ़ के 1 सीट पर गोंगपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे.

मध्य प्रदेश में गोंगपा ने 20 सीटों पर राष्ट्रीय पार्टियों का खेल खराब किया था. गोंगपा ने इस बार दोनों राज्यों में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है. समझौते के तहत बहुजन समाज पार्टी 178 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 52 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

मध्य प्रदेश में आदिवासी वोटरों की संख्या करीब 2 करोड़ हैं, जो विधानसभा की 84 सीटों का समीकरण उलट-पलट सकते हैं.

बहुजन समाज पार्टी- मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव मैदान में है. इन राज्यों में बीएसपी की कमान मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के पास है. आकाश कई जगहों पर रोड-शो भी कर चुके हैं.

राजस्थान की बात की जाए, तो यहां बीएसपी पूर्वी इलाके में खास फोकस कर रही है. 2018 में बीएसपी को राजस्थान के 6 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, बाद में पार्टी के सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

2018 में बीएसपी के 2 उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. पार्टी को कुल 4 प्रतिशत वोट भी मिला था. राजस्थान में बीएसपी इस बार 60 सीटों पर फोकस कर रही है. वहीं मध्य प्रदेश में भी बीएसपी को 2018 में 2 सीटों पर जीत मिली थी. एक विधायक बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.

पिछली बार मध्य प्रदेश की 6 सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. बीएसपी ने यहां पर गोंगपा से गठबंधन किया है. पार्टी को ग्वालियर चंबल और आदिवासी इलाकों में जीत की उम्मीद है.

छत्तीसगढ़ में भी बीएसपी को 2 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि पार्टी के 4 उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. पार्टी को कुल 3.4 प्रतिशत वोट भी मिला था. बीएसपी यहां भी मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कह रही है.

आम आदमी पार्टी- हाल ही में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने वाली आम आदमी पार्टी भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने की घोषणा की है. आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तीनों राज्यों का कई बार दौरा कर चुके हैं.

आम आदमी पार्टी राजस्थान के पंजाब, दिल्ली, गुजरात से सटे इलाकों की सीटों ज्यादा फोकस कर रही है. वहीं मध्य प्रदेश में विंध्य के इलाके में आप का फोकस ज्यादा है. पिछले साल सिंगरौली के महापौर चुनाव में बड़ा उलटफेर करते हुए आम आदमी पार्टी जीत दर्ज की थी.

मध्य प्रदेश में तो आप ने कई उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी का यह पहला चुनाव है. ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी गुजरात की तरह यहां भी कमाल कर सकती है.

गुजरात में आप को 12.92% वोट मिले थे, जिसकी वजह से कांग्रेस को करीब 30 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. जानकारों का कहना है कि अगर शहरी इलाकों में आप ने बढ़िया प्रदर्शन किया, तो बीजेपी को और ग्रामीण इलाकों में बढ़िया प्रदर्शन किया तो कांग्रेस को नुकसान होगा.

समाजवादी पार्टी- उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी भी मध्य प्रदेश में सक्रिय है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हाल ही में मध्य प्रदेश गए थे, जहां 3-4 रैलियों में शामिल हुए. 2018 में सपा को मध्य प्रदेश की एक सीट पर जीत मिली थी. पार्टी के 5 उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे.

सपा ने कांग्रेस को गठबंधन का प्रस्ताव भी दिया है, लेकिन अभी तक बात नहीं बनी है. सपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सामने 7 सीटों का डिमांड रखा है. सपा अकेले अगर चुनाव लड़ेगी, तो पार्टी मुख्य रूप से बुंदेलखंड और बघेलखंड के इलाकों में अपना उम्मीदवार उतारेगी. सपा को पिछले चुनाव में 1.30% वोट मिले थे.

अगर पार्टी पुराने परफॉर्मेंस को भी दोहराने में कामयाब रहती है, तो कई सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस का खेल खराब हो सकता है.

एमपी-राजस्थान में 1 तो छत्तीसगढ़ में 2 चरणों में मतदान

चुनाव आयोग के मुताबिक छत्तीसगढ़ और मिजोरम में 7 नवंबर से चुनाव हैं. छत्तीसगढ़ में दो फेज 7 और 17 नवंबर को मतदान होंगे. मध्य प्रदेश में मतदान 17 नवंबर, राजस्थान और तेलंगाना में 23 और 30 नवंबर को मतदान होगा. सभी राज्यों की मतगणना 3 दिसंबर को होगी.

आयोग ने इस बार मतदान और प्रचार का गैप कम रखा है. मध्य प्रदेश में विधानसभा की जहां 230 सीटें हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटें हैं. राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं, जबकि तेलंगाना में 119 और मिजोरम में 40 सीटें हैं.

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछली बार कांग्रेस की सरकार आई थी. हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई. सिंधिया 28 कांग्रेस विधायक और अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए.