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Adani Vs Jindal Vs Mittal: अडानी के सामने आए जिंदल और मित्तल, इस सीमेंट कंपनी के लिए आमने-सामने भिड़ंत…

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सीमेंट बिजनेस को बढ़ाने के लिए आक्रामक तरीके से काम कर रहे गौतम अडानी के निशाने पर अब एक और कंपनी आई हुई है. हालांकि इस बार गौतम अडानी की राह आसान नहीं होने वाली है, क्योंकि उनकी टक्कर सज्जन जिंदल और लक्ष्मी निवास मित्तल जैसे उद्योगपतियों से होने वाली है.

दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही सीमेंट कंपनी को खरीदने में अडानी के अलावा जिंदल और मित्तल भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

ये पेश कर सकते हैं बोलियां

दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही यह कंपनी वडराज सीमेंट है. वडराज सीमेंट एबीजी शिपयार्ड ग्रुप की कंपनी है, जिसके खिलाफ ट्रेड क्रेडिटर ब्यूमर टेक्नोलॉजी इंडिया ने रिकवरी के लिए कोर्ट की शरण ली थी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने अगस्त 2018 में वडराज सीमेंट को वाइंड अप करने का ऑर्डर दिया था. अब कंपनी दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही है. ईटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वडराज सीमेंट के लिए बोली लगाने वाली संभावित कंपनियों में अडानी समूह की एक कंपनी, सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू सीमेंट और लक्ष्मी मित्तल का आर्सेलर मित्तल ग्रुप शामिल है.

एनसीएलटी के पास आया काम

जब ब्यूमर टेक्नोलॉजी इंडिया ने अपने बकाए की रिकवरी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, तब कोर्ट ने कंपनी को बंद करने का आदेश दिया था. हालांकि कंपनी की संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया धीमी होने से नाराज होकर कोर्ट ने सीमेंट कंपनी के डेट रिजॉल्यूशन प्रोसेस को आईबीसी के पास ट्रांसफर करने की सहमति दे दी थी. अब एनसीएलटी के तहत कंपनी की दिवाला प्रक्रिया चलने वाली है.

अडानी समूह की स्थिति

अडानी समूह की बात करें तो सीमेंट इंडस्ट्री में अब समूह की अहम भूमिका है. अडानी समूह एसीसी और अंबुजा सीमेंट को खरीदकर सीमेंट उत्पादन के मामले में भारत में एक झटके में दूसरे नंबर पर पहुंच गया था. अभी अडानी समूह की सालाना क्षमता 67.5 एमटी सीमेंट का उत्पादन करने की है. अल्ट्राटेक सीमेंट 137.5 एमटी की क्षमता के साथ पहले स्थान पर है.

कंपनी के पास ये एसेट

वडराज सीमेंट के पास जो एसेट हैं, वो इसे अडानी समूह के लिए स्ट्रेटजिक बना देते हैं. वडराज सीमेंट के पास कच्छ में सीमेंट मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी है. कंपनी के पास लाइमस्टोर के माइनिंग राइट्स भी हैं. कंपनी के पास सूरत में 6 एमटी क्षमता वाली सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट भी है. कंपनी के कर्जदाताओं को दिवाला प्रक्रिया में संभावित खरीदारों से 2000 से 2500 करोड़ रुपये की बोली की उम्मीद है.