भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने उच्चतम न्यायालय को साल एक अप्रैल 2019 से 15 फरवरी के बीच राजनीतिक दलों ने कुल 22,217 चुनावी बांड खरीदे और 22,030 बांड भुनाए।
शीर्ष अदालत में दायर एक अनुपालन हलफनामे में एसबीआई ने कहा कि अदालत के निर्देश के अनुसार, उसने 12 मार्च को व्यावसायिक समय बंद होने से पहले भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण उपलब्ध करा दिया है।
हलफनामे में क्या कहा? इसमें कहा गया है कि प्रत्येक चुनावी बांड की खरीद की तारीख, खरीदार के नाम और खरीदे गए बांड के मूल्यवर्ग सहित विवरण प्रस्तुत किए गए हैं। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि बैंक ने चुनाव आयोग को चुनावी बांड के नकदीकरण की तारीख, योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के नाम और बांड के मूल्यवर्ग जैसे विवरण भी दिए हैं।
चुनाव आयोग को दिए थे ये निर्देश 11 मार्च को, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआई की याचिका को खारिज कर दिया था और उसे 12 मार्च को व्यावसायिक घंटों के अंत तक चुनाव आयोग को चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को 15 मार्च को शाम 5 बजे तक बैंक द्वारा साझा किए गए विवरण को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था।
SC ने मांगा था चुनावी बांड का विवरण 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में, पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था, जिसने गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की अनुमति दी थी,
इसे “असंवैधानिक” कहा था और चुनाव आयोग को दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया था। योजना को बंद करने का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने योजना के तहत अधिकृत वित्तीय संस्थान एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था।