दूसरा चरण BJP के लिए चुनौतीपूर्ण, UP की 8 में 7 सीटों पर कब्जा, इस बार कैसी होगी राह?
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण की सीटों पर वोटिंग होने के बाद अब बारी दूसरे चरण की आठ सीटों की है. दूसरे फेज में पश्चिमी यूपी और बृज क्षेत्रों की सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान है, जिसके चलते सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है.
यह चरण बीजेपी के लिए जितना अहम है, उतना ही कांग्रेस की साख दांव पर लगी है. सपा के लिए इस चरण में खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है, लेकिन बीजेपी को अपनी सीटें बचाए रखने की बड़ी चुनौती है. ऐसे में देखना है कि दूसरे चरण में किसका पलड़ा भारी रहता है.
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा संसदीय सीट पर 26 अप्रैल को चुनाव होने है. इस चरण की अमरोहा को छोड़कर बाकी सभी सीटें बीजेपी ने 2019 जीती थी. अमरोहा सीट बसपा के खाते में गई थी. हालांकि, इस बार सियासी समीकरण बदल गए हैं. आरएलडी इस बार बीजेपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी है तो कांग्रेस के साथ सपा मिलकर चुनाव लड़ रही और बसपा अकेले दम पर किस्मत आजमा रही है.
यूपी के दूसरे चरण 8 में से सात सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है, जबकि बागपत सीट पर एनडीए गठबंधन में शामिल आरएलडी चुनाव लड़ रही है. वहीं, इंडिया गठबंधन में चार सीटों पर सपा और चार सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस गाजियाबाद, मथुरा, बुलंदशहर, अमरोहा सीट पर चुनाव लड़ रही जबकि सपा नोएडा, अलीगढ़, बागपत और मेरठ सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. इस तरह इंडिया गठबंधन में सपा और कांग्रेस की बराबर की साख दांव पर दूसरे चरण में लगी हुई है.
मेरठ सीट बीजेपी बनाम बसपा की लड़ाई
मेरठ लोकसभा सीट पर बीजेपी से अरुण गोविल मैदान में है, जो प्रसिद्ध धारावाहिक रामायण में प्रभु राम की भूमिका में दिख चुके हैं. सपा यहां से सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बना रखा है तो बसपा से देवव्रत त्यागी किस्मत आजमा रहे हैं. पिछली बार मेरठ सीट पर बीजेपी बहुत मामूली वोटों से जीत दर्ज की थी, बसपा के याकूब कुरैशी ने राजेंद्र अग्रवाल को कांटे की टक्कर दिया था. इस बार बीजेपी ने राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर अरुण गोविल को उतारा है. याकूब परिवार बसपा के देवव्रत त्यागी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, जिसके चलते सपा के योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा के लिए काफी चुनौती खड़ी हो गई है. मेरठ का चुनाव बीजेपी बनाम बसपा होता नजर आ रहा है.
अमरोहा में हाथी बिगाड़ेगा कांग्रेस का खेल?
अमरोहा लोकसभा सीट पर बीजेपी से कंवर सिंह तंवर, कांग्रेस से कुंवर दानिश अली और बसपा के मुजाहिद हुसैन के बीच टक्कर है. ये सीट मुस्लिम बहुल सीट मानी जाती है, ऐसे में में बसपा ने कांग्रेस-सपा गठबंधन की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी होने से मुस्लिम वोटों में बिखराव तय है. बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया है. बसपा प्रमुख मायावती ने अमरोहा सीट पर प्रचार करते हुए कहा था कि दानिश अली ने मुस्लिमों को धोखा दिया है और उनके साथ गद्दारी की है. बीजेपी और आरएलडी के साथ होने के कंवर सिंह तंवर मजबूत माने जा रहे हैं, लेकिन दोनों ही पार्टियों के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है, जिसके चलते कई बार टकराव की स्थिति बनी है.
गाजियाबाद सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी ने दो बार सांसद रहे वीके सिंह का टिकट काटकर अतुल गर्ग पर दांव लगाया है. वहीं, गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के पाले में हैं. कांग्रेस ने यहां से डॉली शर्मा को टिकट दिया है तो बसपा से नंद किशोर पुंडीर मैदान में है. वीके सिंह के टिकट कटने के चलते माना जा रहा ठाकुर समुदाय के बीच नाराजगी भी है, क्योंकि ठाकुर संगठन लगातार पंचायत कर बीजेपी के खिलाफ वोटिंग की अपील कर रहे है. बीजेपी पिछले तीन चुनाव से गाजियाबाद सीट जीत रही है, जिसके चलते इस बार मजबूत दावेदारी मानी जा रही है, लेकिन कांग्रेस और बसपा के चलते त्रिकोणीय जंग मानी जा रही है.
गौतमबुद्ध नगर सीट पर त्रिकोणीय फाइट
गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) लोकसभा सीट से बीजेपी ने लगातार दो बार सांसद बन रहे डॉ महेश शर्मा जीत की हैट्रिक लगाने के लिए उतरे हैं. सपा ने महेंद्र नागर को उतारा है तो बसपा ने राजेंद्र सोलंकी उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. नोएडा सीट पर तीनों प्रत्याशी अलग-अलग जातियों से हैं. ऐसे में इस सीट पर लड़ाई दिलचस्प है, क्योंकि सपा ने गुर्जर-मुस्लिम-यादव समीकरण बनाने का दांव चला है तो बसपा ने ठाकुर-दलित समीकरण के सहारे जीत का ताना बाना बुना है. नोएडा सीट पर ठाकुर मतदाता बड़ी संख्या में है, जो बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाते है. लेकिन, बसपा के उतरने से महेश शर्मा की टेंशन बढ़ गई है. इस तरह नोएडा लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है.
बुलंदशहर सीट पर बसपा बनाम बीजेपी
बुलंदशहर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर भी पिछली दो बार से लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है. बीजेपी ने एक बार फिर से भोला सिंह को मैदान में उतारा है तो बसपा ने नगीना सीट से सांसद गिरीश चंद्र पर दांव खेलकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. इंडिया गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है. कांग्रेस ने बुलंदशहर सीट से शिवराम वाल्मीकि को उतारा है. 2009 को छोड़कर 1991 से लगातार बीजेपी बुलंदशहर सीट को जीत रही है. कांग्रेस प्रत्याशी शिवराम वाल्मीकि की तुलना में गिरीश चंद्र मंझे हुए नेता है, जिसके चलते अब चुनावी लड़ाई बीजेपी बनाम बसपा की होती दिख रही है.
अलीगढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला?
अलीगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी ने यहां वर्तमान सांसद सतीश गौतम को उतारा है. बसपा ने यहां मुस्लिम प्रत्याशी गुफरान नूर का टिकट काटकर बीजेपी से ही आए हितेंद्र कुमार को टिकट दिया है. समाजवादी पार्टी से जाट बिरादरी के बिजेंद्र सिंह मैदान में है. इस सीट पर भी मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं, लेकिन तीनों दलों में किसी ने मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा है. इसके चलते मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. बसपा से ब्राह्मण प्रत्याशी और सपा के जाट प्रत्याशी उतारने के चलते बीजेपी के सतीश गौतम की टेंशन बढ़ गई है.
मथुरा सीट पर ड्रीम गर्ल की हैट्रिक
मथुरा लोकसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. इस सीट से लगातार दो बार फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी चुनाव जीत रही है. इस बार फिर से बीजेपी ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने मथुरा सीट से मुकेश धनगर को टिकट दिया है. बहुजन समाज पार्टी ने यहां जाट बिरादरी से आने वाले आईआरएस रहे सुरेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है. आरएलडी और बीजेपी का समर्थन है. यह सीट जाट बहुल मानी जाती है, जहां से बसपा के जाट प्रत्याशी उतारने से मुकाबला रोचक हो गया है. माना जा रहा है कि मथुरा सीट पर बसपा अगर जाट-दलित वोटों को जोड़ने में कामयाब रही तो बीजेपी के लिए चिंता पकड़ बन सकती है.