Lok Sabha Elections 2024: यूपी में दूसरे चरण के लिए मतदान होना है, बीजेपी के खिलाफ विपक्ष ने बदली रणनीति?
लोकसभा चुनाव में बीजेपी पूरे आक्रामक अंदाज के साथ विरोधी दलों पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम बड़े नेता राम मंदिर और सनातन धर्म को लेकर बयान दे रहें हैं. पीएम मोदी ने राजस्थान की रैली में अल्पसंख्यकों को लेकर जो बयान दिया उसे भी ध्रुवीकरण की राजनीति से जोड़कर ही देखा जा रहा है लेकिन इन तमाम बातों का जवाब देने के लिए विपक्ष नई रणनीति के साथ दिख रहा है. यूपी में पहले चरण की आठ लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो चुकी है और शुक्रवार को दूसरे चरण के लिए मतदान होना है. इन सीटों पर अल्पसंख्यक वोटर्स अहम भूमिका निभाते हैं ऐसे में बीजेपी के चुनाव प्रचार में हिंदू, सनातन, राम मंदिर और मथुरा-काशी जैसे कई मुद्दों का शोर सुनाई पड़ता है. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष ने बदली रणनीति विपक्षी दल फिर चाहे वो समाजवादी पार्टी हो या कांग्रेस या बसपा सभी दल इन मुद्दों पर सीधे तौर से बोलने पर बचते दिख रहे हैं वो लगातार अपनी हर रैली और जनसभा में महंगाई, भ्रष्टाचार, आरक्षण, संविधान और पीडीए जैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं. यही वजह है कि इस बार प्रदेश की राजनीति में ध्रुवीकरण की बजाय जाति की ज्यादा बात हो रही है, विपक्ष की इस रणनीति के पीछे बीते दो चुनावों को अहम माना जा रहा है, बीजेपी ने जब क़ब्रिस्तान-श्मशान, रमज़ान-दिवाली जैसे मुद्दे उठाएं तो विपक्ष का इन मुद्दों पर बोलना उनके लिए ही भारी पड़ गया. जिसके चलते बड़ी संख्या में हिन्दू मतदाता एकजुट होते चले गए और बड़ी संख्या में उन्होंने बीजेपी के पक्ष में वोट किया है. बीजेपी ने इस बार भी चुनाव से पहले अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर चुनाव को आस्था का रंग देने की कोशिश की और समारोह से विपक्ष के बहिष्कार पर आक्रामक रुख़ अपनाया लेकिन विपक्ष की ओर से हमेशा संयमित टिप्पणियां देखने को मिली ताकि ध्रुवीकरण को धार न मिल पाए. यही नहीं विपक्षी दलों के मुस्लिम नेता भी ऐसी कोई बात नहीं कर रहे जिससे चुनाव में उसका फ़ायदा उठाया जा सके. सपा नेता आज़म खान इन दिनों जेल में बंद हैं वहीं सहारनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद भी इस बार अलग अंदाज में दिख रहे हैं वो हिन्दू बहुल इलाकों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं. यही नहीं उनकी बातों और भाषणों में भगवान श्री राम का ज़िक्र देखने को मिल रहा है. ध्रुवीकरण के मुद्दों पर विपक्ष की ठंडी प्रतिक्रिया के चलते इस बार ये मुद्दा जोर नहीं पकड़ रहा. लोग भी महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं.