‘भारतीय जासूसों के निष्कासन’ से जुड़ी रिपोर्टों पर ऑस्ट्रेलिया ने क्या कहा?
”ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भारत के साथ अपने निकट संबंधों पर बात की है. इससे पहले ये रिपोर्टें आई थीं कि ऑस्ट्रेलिया ने कथित रूप से भारत के दो जासूसों को साल 2020 में देश से निष्कासित किया था. साल 2021 में ऑस्ट्रेलिया की ख़ुफ़िया एजेंसी के प्रमुख ने कहा था कि कुछ विदेशी एजेंट देश में सक्रिय हैं. हालांकि उन्होंने उन एजेंटों की राष्ट्रीयता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी. ख़ुफ़िया एजेंसी के प्रमुख का ये बयान साल 2020 के मामले से जुड़ा था. कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने इस हफ़्ते अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है कि वे विदेशी एजेंट भारत के थे. ऑस्ट्रेलिया ने न तो इन रिपोर्टों की पुष्टि की है और न ही खंडन किया है. हालांकि ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेन्नी वॉन्ग ने ये ज़रूर कहा है कि उनकी सरकार किसी भी विदेशी दखलंदाज़ी से निपटने के लिए तैयार है. ट्रेज़रर (वित्त मंत्री) जिम चार्ल्मर्स ने बुधवार को एबीसी न्यूज़ से कहा, “मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं.” उन्होंने कहा, “भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं… ये एक महत्वपूर्ण आर्थिक संबंध है. दोनों ही पक्षों के प्रयासों के परिणामस्वरूप हाल के सालों में दोनों देश क़रीब आए हैं.” तीन साल पहले ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस ऑर्गनाइज़ेशन (एएसआईओ) के प्रमुख माइक बर्गेस ने कहा था, “जासूसों के एक नेटवर्क ने कुछ मौजूदा और पूर्व राजनेताओं, एक इम्बैसी और स्टेट पुलिस सर्विस के साथ साल 2020 में पूरे साल योजनाबद्ध तरीके से संबंध बनाए थे.” बर्गेस ने बताया कि एजेंटों ने ‘भारतीय समुदाय की निगरानी की’ और सरकारी अधिकारी से ‘एयरपोर्ट पर सुरक्षा प्रोटोकॉल के विषय में’ बात की और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार से जुड़ी गुप्त जानकारियां हासिल’ करनी की कोशिश की. उन्होने ये भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया की संवेदनशील डिफ़ेंस टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी रखने वाले एक अधिकारी को भी जानकारी इकट्ठा करने के लिए तैयार किया गया था. सोमवार को अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा था कि ऑस्ट्रेलिया ने साल 2020 में एक काउंटर इंटेलिजेंस ऑपरेशन के तहत दो भारतीयों को देश से निष्कासित कर दिया था. उस वक्त एबीसी न्यूज़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय एजेंटों के एक ग्रुप ने ऑस्ट्रेलिया के व्यापार, सुरक्षा और रक्षा प्रोजेक्ट्स से जुड़ी गोपनीय जानकारी को टार्गेट किया था. ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस ऑर्गेनाइजेशन के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया है कि एजेंसी गोपनीय मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करती है. कैनबरा स्थित भारतीय उच्चायोग ने भी बात करने के निवेदन का कोई जवाब नहीं दिया है. ये दावे उस वक्त सामने आए हैं जब पश्चिमी देशों ने भारत पर विदेश ज़मीन पर ख़ुफ़िया कार्रवाइयों में संलिप्त होने का आरोप लगाया है. इन दावों में पिछले साल जून में कनाडा में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मामला भी शामिल है. भारत इन आरोपों का पुरज़ोर खंडन करता रहा है. हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया और भारत ने आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की दिशा में प्यापार, ऊर्जा और अप्रवासन के क्षेत्र में कई समझौते किए हैं. अमेरिका और जापान के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया क्वाड नाम के एक सामरिक अलायंस का भी हिस्सा हैं. चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच क्वाड का उद्देश्य इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र में सिक्योरिटी को मज़बूत करना बताया जाता है. ऑस्ट्रेलिया भारत का छठा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. करीब 750,000 ऑस्ट्रेलिया नागरिकों की जड़ें भारत में हैं.”
”वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर भारत की प्रतिक्रिया”
”खालिस्तान समर्थक नेता और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम कोशिश के मामले में भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी के शामिल होने के दावे से जुड़ी वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को भारत ने ‘निराधार’ बताया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी थी. मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा था, “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है.” बयान में कहा गया, “संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है. इसे लेकर अटकलें लगाना और ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा.”
”अमेरिकी प्रतिक्रिया”
”अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भी इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल से सवाल पूछा गया कि वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘इनर सर्कल को पन्नू की हत्या की कोशिश की जानकारी थी’, इसे अमेरिका कैसे देखता है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “हम भारत सरकार से भारतीय जांच कमेटी के नतीजों के आधार पर जवाबदेही की उम्मीद करते हैं. हम लगातार उनके साथ काम कर रहे हैं और अतिरिक्त जानकारियां भारत से मांग रहे हैं. हम भारत सरकार के साथ उच्च स्तर पर अपनी चिंताएं साझा करना जारी रखेंगे. इससे ज़्यादा हम इस मामले पर बात नहीं कर सकेंगे.”
”वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में क्या है?”
”वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीते साल 22 जून को अमेरिका के व्हाइट हाउस में पीएम मोदी का स्वागत किया जा रहा था उस समय भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के एक अधिकारी अमेरिका में किराये के हत्यारों को खालिस्तान समर्थक नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करने के निर्देश दे रहे थे. अख़बार ने लिखा है कि रॉ के एक अधिकारी विक्रम यादव ने इस हत्या को ‘प्रायरिटी नाउ’ यानी ‘सबसे अहम प्रथामिकता’ बताया था. कुछ अधिकारियों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि यादव ने पन्नू के न्यूयॉर्क स्थित आवास के बारे में जानकारी सुपारी लेने वालों को दी थी. कहा गया था कि जैसे ही अमेरिकी नागरिक पन्नू अपने घर पर होंगे –”हमारी तरफ़ से काम को आगे बढ़ाने का आदेश मिल जाएगा.” रिपोर्ट दावा करती है कि यादव की पहचान और इस मामले से जुड़े उनके तार अब तक सामने नहीं आए थे. उनके नाम का सामने आना अब तक का सबसे स्पष्ट सबूत है कि हत्या की योजना जिसे अमेरिकी अधिकारियों ने फेल कर दिया- उसके लिए रॉ ने निर्देश दिए थे.
वर्तमान और पूर्व पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, सीआईए, एफबीआई और अन्य एजेंसियों की व्यापक जांच में कुछ हाई रैंकिंग रॉ अधिकारी भी तफ़्तीश के दायरे में आए हैं.”