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मंडी में किसानों ने कंगना रनौत के खिलाफ खोला मोर्चा, पुराने बयानों की दिलाई याद; माफी की मांग

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मंडी में किसानों ने कंगना रनौत के खिलाफ खोला मोर्चा, पुराने बयानों की दिलाई याद; माफी की मांग

संयोजक हरीश चौहान ने कहा, “कंगना किसानों के वोट कैसे मांग सकती हैं और हमारे समर्थन की उम्मीद कैसे कर सकती हैं? उन्होंने किसान समुदाय का अपमान किया है। उन्हें पहले माफी मांगनी चाहिए।”

किसानों ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कैंडिडेट और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत से उनकी कथित अपमानजनक टिपण्णी के लिए माफी की मांग की है। संयुक्त किसान मंच ने गुरुवार को कंगना को कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ उनके द्वारा दिए गए कथित बयानों की याद दिलाई है। साथ ही माफी की मांग की है।

एसकेएम संयोजक हरीश चौहान ने कहा, “कंगना किसानों के वोट कैसे मांग सकती हैं और हमारे समर्थन की उम्मीद कैसे कर सकती हैं? उन्होंने किसान समुदाय का अपमान किया है। उन्हें पहले माफी मांगनी चाहिए।”

कंगना ने अपने एक ट्वीट में आरोप लगाया गया था कि “शाहीन बाग दादी” भी कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन में शामिल हुई थीं। उन्होंने बिलकिस बानो सहित दो बुजुर्ग महिलाओं की तस्वीरों के साथ पोस्ट को रीट्वीट किया और लिखा कि “वही दादी” जो टाइम मैगज़ीन में छपी थीं और 100 रुपये में उपलब्ध थीं। हालांकि, ट्वीटर पर लोंगों ने बताया कि दोनों महिलाएं अलग-अलग हैं तो कंगना ने अपना ट्वीट हटा लिया।

चौहान ने कहा कि राज्य में 70 प्रतिशत मतदाता किसान हैं। पिछले 10 वर्षों के दौरान राज्य के सांसदों द्वारा उनके मुद्दों को कभी नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि एसकेएम मौजूदा चुनावों में उन उम्मीदवारों का समर्थन करेगा जो किसानों के हित की वकालत करेंगे। चौहान ने कहा, “हम मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को समर्थन देंगे क्योंकि वह एसकेएम का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने विधानसभा में हमारे मुद्दे उठाए हैं।”

उन्होंने कहा कि एसकेएम ने पांच सूत्री मांग पत्र तैयार किया है और उन दलों का समर्थन करेगा जो इन मांगों को अपने एजेंडे में शामिल करेंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल में किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया है। सेब उद्योग ईरान से सस्ते सेब के आयात के कारण गंभीर संकट में है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम के बावजूद आयातित सेब 40 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है, जो कि सेब उद्योग के लिए विनाशकारी है।