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छत्तीसगढ़ : सतनामी समुदाय गुरु घासीदास को मानने वाले सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक?

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छत्तीसगढ़ : सतनामी समुदाय गुरु घासीदास को मानने वाले सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक?

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में हुए बवाल के बाद जैतखाम क्या है यह लोगों की जिज्ञासा का विषय बन गया है. सतनामी समाज के लिए एक तरह से उनकी जीत का प्रतीक है जैतखाम. छत्तीसगढ़ में दुनिया का सबसे ऊंचा जैतखाम भी बना है जो कि कुतुब मीनार से भी ऊंचा है.

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में रविवार को हुए बवाल के बाद हर कोई सतनामी समुदाय और जैतखाम के बारे में जानना चाहता है. सतनामी समुदाय गुरु घासीदास को मानने वाले हैं और उनका सबसे पवित्र चिन्ह जैतखाम है जिस पर सफेद रंग की ध्वजा लहराई जाती है. जब भी जैतखामों की बात की जाती है तो राज्य के गिरौदपुरी में स्थित सबसे ऊंचे जैतखाम का जिक्र जरूर किया जाता है. यह जैतखाम 2014 में बनकर तैयार हुआ था जो कि ऊंचाई में कुतुब मीनार से भी ऊंचा है.

दरअसल छत्तीसगढ़ में बलौदा बाजार में जैतखाम को काटने के मामले में गुस्साए सतनामी समाज के अनुयायियों ने उग्र और हिंसक प्रदर्शन किया है. सतनामी समाज के लोगों ने पूरे कलेक्टर ऑफिस को घेर लिया और आग के हवाले कर दिया है. सतनामी समुदाय के लोग जैतखाम काटने के मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं जबकि इस मामले में डिप्सी सीएम पहले ही न्यायिक जांच के लिए आदेश दे चुके हैं. इसी बात से नाराज लोगों ने प्रदर्शन किया है.

सतनामी समाज और जैतखाम दोनों ही नाम छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बहुत आम हैं क्योंकि यहां पर लगभग सभी गांवों में सतनामी लोग रहते हैं. यहां गांव-गांव में जैतखाम बने हुए हैं और रोजाना इसे मानने वाले इस पवित्र स्तंभ की पूजा भी करते हैं. सतनामी समुदाय गुरु घासीदास को मानने वाले हैं. इस समाज के लोग हमेशा सच्चाई पर चलते हैं और सतनाम का जप करते हैं.

समाज के लोगों के लिए सबसे खास आस्था का प्रतीक है जैतखाम. यह सतनामियों के लिए आस्था की पताका है जिसका महत्व उनके लिए बहुत ज्यादा है. जहां-जहां सतनामी रहते हैं वहां ये लोग किसी विशेष स्थान को देखकर जैतखाम को बनाते हैं इसके ऊपर सफेद रंग की ध्वजा फहराई जाती है. यह सतनामियों के लिए विजय का प्रतीक है और इसलिए इसका महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है. जैतखाम की बात की जा रही है तो बता दें कि छत्तीसगढ़ में एक जैतखाम है जो कि कुतुब मीनार से भी ऊंचा और देखने में बहुत खूबसूरत है.

रायपुर से करीब 145 किलोमीटर दूर बाबा गुरु घासीदास की जन्म स्थली मौजूद है जिसका नाम है गिरौदपुरी. जहां सतनामियों में जैतखाम के प्रति आस्था को देखते हुए सुंदर और भव्य जैतखाम बनाया है. ऊंचाई की बात करें तो यह कुतुब मीनार से भी ऊंजा है. इसे 2014 में बनकर तैयार किया था. इस जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है जबकि कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है. 2007-08 में इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया था जिसे 2014 में बनाकर पूरा किया गया.