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छत्तीसगढ़ : हरी सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी, मौसमी सब्जियों के बढ़ गए भाव, जेब पर पड़ने लगा है असर, जानें क्या हैं भाव ? 

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छत्तीसगढ़ : हरी सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी, मौसमी सब्जियों के बढ़ गए भाव, जेब पर पड़ने लगा है असर, जानें क्या हैं भाव ? 

लोकल उत्पादन में आई कमी, ट्रांसपोर्टिंग का खर्चा बढ़ने से सब्जी के दामों में आया उछाल, जानें क्या हैं भाव ? 

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में बढ़ती गर्मी से जिले की लोकल बाड़ियों से सब्जी की आवक बंद हो गई है. बाजार में सरगुजा के सिलफिली और दूसरे शहरों से सब्जी आ रही है.

ट्रांसपोर्टिंग का खर्चा ज्यादा होने से शहर में सब्जी महंगी बिक रही है. सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि मार्केट में स्थानीय बाड़ियों के अलावा आसपास के गांवों से सब्जियों की आवक होती है, तो सब्जियों के दाम कम रहते हैं. आवक कम हो जाती है, तो सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं.

जेब पर पड़ने लगा है असर : ग्रामीण अंचलों से सब्जी की आवक कम होने के चलते अब सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी देखी जा रही है. सब्जी की आवक जब तक नहीं बढ़ेगी तब तक कीमत में कमी नहीं आएगी.

बाजार में सब्जियों के दाम बढ़ने से लोगों को जेब पर असर पड़ने लग गया है. करेला, भिंडी, फूल गोभी, बैंगन सहित अन्य हरी सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी हुई है. स्थिति यह है कि 500 रुपए में भी झोला नहीं भर रहा है. बढ़ती महंगाई ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है.

थाली से हरी सब्जी गायब होने लगी है. लोग किलो की जगह पाव भर सब्जी लेकर ही काम चला रहे हैं. एकाएक बढ़े सब्जियों के दामों ने खाने का जायका बिगाड़ दिया है. पहले ही टमाटर के बढ़े दाम से गृहिणी परेशान थीं और अब सब्जियों की आवक कम होने से सब्जी विक्रेता भी परेशान दिख रहे हैं. कुछ दिनों के अंदर सब्जियों के दाम दोगुना से ज्यादा बढ़ गए, जिससे घरेलू बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है.

मौसमी सब्जियों के बढ़ गए भाव : सब्जियों के दाम बढ़ने का असर मध्यम वर्ग व गरीब तबके पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है. हरी और मौसमी सब्जियों के भाव पिछले दिनों की अपेक्षा 20 से 30 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गए हैं. आलम यह है कि बाजार में बाहर से सब्जी पहुंच नहीं पा रही है, जो लोकल है उसके दाम भी अधिक है. कई व्यवसायी आलू-प्याज पुराने रखे स्टॉक से ही काम चला रहे हैं. इसमें भी मनमानी रेट लिया जा रहा है.