उत्तर-पश्चिमी कांगो में इन दिनों एक अजीबोगरीब बीमारी की पहचान की गई है। इससे तीन बच्चों की मौत हो गई है। इस बीमारी की जब जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि अब तक इस बीमारी से 50 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई है। ज़्यादातर मामलों में लक्षणों की शुरुआत बुखार, उल्टी और इंटरनल ब्लीडिंग शामिल है। मृत्यु के बीच का अंतराल 48 घंटे रहा है और यही सबसे ज़्यादा चिंताजनक बात है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो चमगादड़ खाने वाले तीन बच्चों में सबसे पहले इस बीमारी का पता चला था। जिसके बाद अब इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
जानवरों से इंसानों में फैलने वाली इस बीमारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अलर्ट पर है। शुरुआत में इस बीमारी का पता लगाने के लिए जो लैब टेस्ट हुए हैं। उसमें ये एक जटिल किस्म का मलेरिया पाया गया है। जिससे इसके फैलने के कारणों पर बात करना और मुश्किल हो गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये एक तरह का हेमोरैजिक फीवर है। जिसे जूनोटिक बीमारी माना जा रहा है। यानी जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। सिर्फ पांच हफ्ते से फैली इस बीमारी से 50 लोगों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर मरीज बीमारी शुरू होने के 48 घंटों के भीतर ही काल के गाल में समा गए। लक्षणों के दिखने और मौत के बीच के इस बहुत कम गैप से स्वास्थ्य विशेषज्ञों चिंतित हैं। दूसरे आउटब्रेक के बाद, 13 मामलों के नमूने टेस्ट के लिए किंशासा में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल रिसर्च को भेजे गए। सभी सैंपल इबोला और मारबर्ग जैसी बीमारियों के लिए निगेटिव पाए गए हैं। हालांकि कुछ नमूनों में मलेरिया के लिए पॉजिटिव पाया गया है।