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चीन की नई चाल…..इस बार सीधे पीएम मोदी के अरमानों पर किया हमला, अर्थव्‍यवस्‍था की जड़ में लगा रहा सेंध

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चीन की चालबाजी से तो सभी वाकिफ हैं, लेकिन इस बार उसका पैंतरा सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरमानों पर हमला किया है. उसकी मंशा भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की जड़ों में सेंध लगाने की है. चीन को आभास हो गया है कि भारत दुनिया की दूसरी फैक्‍ट्री बनने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है और उसकी चुनौतियां भी बढ़ रही हैं. अपनी इसी चिंता से निपटने के लिए चीन ने भारत मैन्‍युफैक्‍चिरिंग को सुस्‍त करने की रणनीति बनाई है. साथ ही भारतीय में काम कर रहे अपने नागरिकों को वापस बुलाने का फरमान भी जारी कर दिया है.

चीन ने भारत की तेजी से बढ़ती मैन्‍युफैक्‍चरिंग ताकत कम करने के लिए कच्‍चे माल और उपकरणों की आपूर्ति कम कर दी है. चीन जानबूझकर इसकी डिलीवरी में देरी कर रहा है. ड्रैगन ने कई जरूरी मशीनरी और उपकरणों की डिलीवरी को लटका दिया है. साथ ही उसने अपने कुछ नागरिकों को वापस बुलाने का फरमान भी जारी कर दिया है. ये नागरिक भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स कंपनियों में काम कर रहे हैं. इसमें ऐपल के प्रोडक्‍ट बनाने वाली कंपनी फॉक्‍सकॉन भी शामिल है.
रेयर अर्थ पर पहले ही लगा चुका है प्रतिबंध
चीन ने न सिर्फ अपने कुछ नागरिकों को भारतीय फैक्ट्रियों से वापस बुलाने का आदेश दिया है, बल्कि भारत को ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण में उपयोग होने वाले रेयर अर्थ यानी मैग्‍नेट के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. सूत्रों का कहना है कि चीन से अपनी विनिर्माण इकाई भारत में ट्रांसफर करने के बाद फॉक्‍सकॉन भारी दबाव में है. ताइवान की इस कंपनी ने तमिलनाडु और कर्नाटक के अपने कारखानों में सैकड़ों चीनी इंजीनियरों को भर्ती किया है. अब चीन उसके विनिर्माण पर संकट पैदा करने के लिए अपने नागरिकों को वापस बुला रहा है.
iPhone के विनिर्माण पर संकट
चीन ने अपने तकनीकी विशेषज्ञों को वापस बुलाया तो भारत में iPhone के निर्माण पर बड़ा संकट पैदा हो सकता है. हालांकि, भारतीय इकाइयों में काम कर रहे चीनी नागरिकों की संख्‍या 1 फीसदी से भी कम है, लेकिन उत्‍पादन और गुणवत्‍ता के मामले में इनकी बड़ी भूमिका रहती है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह समस्या पिछले कुछ महीनों से बनी हुई है और कंपनियों ने अपनी दूसरी यूनिट से काबिल कर्मचारियों को बुलाना शुरू कर दिया है.
ओप्‍पो, वीवो और शाओमी पर भी संकट
चीन की इस चाल का असर आईफोन के निर्माण पर ही नहीं, बल्कि भारत में अपने प्रोडक्‍ट बनाने वाली चीनी मोबाइल कंपनियों पर भी दिखेगा. चीन की मोबाइल कंपनियां ओप्‍पो और वीवो बड़े पैमाने पर अपने उत्‍पादन भारत में करती हैं. वैसे तो इन कंपनियों के पास चीनी कर्मचारियों की संख्‍या काफी कम है, लेकिन उन्‍हें चिंता है कि अगर चीन ने ऐसा कदम उठाया तो इसका उन पर क्‍या असर होगा.
भारत से बदला ले रहा चीन
सूत्रों का कहना है कि चीन यह चालबाजी भारत से बदला लेने के मकसद से कर रहा है, क्‍योंकि उसके कॉरपोरेट कर्मचारियों भारत में आसानी से वीजा नहीं मिल रहा है. सरकार इस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांग रही है, ताकि इस मुद्दे को संकट बनने से पहले ही हल किया जा सके. सरकार नहीं चाहती कि भारत के निर्यात में प्रमुख भूमिका निभाने वाले ऐपल के उत्‍पादन पर कोई ज्‍यादा संकट आए.
पहले भी ऐसा करता रहा है चीन
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अतीत में चीन ने अक्सर प्रमुख भारतीय फैक्ट्रियों में उपयोग की जाने वाली मशीनरी की डिलीवरी में जानबूझकर देरी की है. चीन को जब-जब यह पता चला है कि उनके यहां से कोई मैन्‍युजब उन्हें पता चला कि यह सुविधा भारत में स्थानांतरित हो रही है या आ रही है. ये कदम ऐसे समय में उठाए जा रहे हैं जब कंपनियां अपने उत्पादन ठिकानों को विविधता देने की कोशिश कर रही हैं और भारत में क्षमता बढ़ा रही हैं, अक्सर चीन में विस्तार की कीमत पर या धीमी गति से ऐसा कर रही हैं.

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