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देश विरोधी वीडियो और कंटेंट पर लगाम, सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार ने किया तलब

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भारत सरकार ने देश विरोधी वीडियो और कंटेंट को रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया है. भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने वाली सामग्री, जो वेबसाइटों पर अपलोड होती है या सोशल मीडिया पर वायरल होती है उनपर नियंत्रण के लिए जल्द ही एक राष्ट्रीय नीति लागू की जाएगी. यह जानकारी खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने गृह मंत्रालय की संसदीय समिति को दी है. इस कदम का उद्देश्य भारत विरोधी तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और भ्रामक सामग्री पर अंकुश लगाना है, जो देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है.
संसदीय समिति को दी गई जानकारी के अनुसार खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे भारत विरोधी तत्वों और अन्य अलगाववादी समूहों द्वारा सोशल मीडिया का दुरुपयोग चिंता का विषय है. इन तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे कंटेंट को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष निगरानी टीम गठित करने की योजना है. यह टीम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय भारत विरोधी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेगी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेगी. इस निगरानी टीम में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), राज्य पुलिस और आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी अन्य एजेंसियां शामिल होंगी.

कंपनियों के साथ गृह मंत्रालय की चर्चा

गृह मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों को भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने इन कंपनियों के साथ चर्चा शुरू की है, ताकि वे अपने प्लेटफॉर्म्स पर भारत विरोधी सामग्री को अपलोड होने से रोकें. सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पहले से ही गैर-कानूनी कंटेंट को 36 घंटे के भीतर हटाने और मूल स्रोत का पता लगाने का दायित्व सौंपा गया है. सरकार ने इन कंपनियों से अपेक्षा की है कि वे अपनी कंटेंट मॉडरेशन नीतियों को और सख्त करें, ताकि राष्ट्रविरोधी प्रचार को बढ़ावा देने वाली सामग्री पर तुरंत रोक लगाई जा सके.
खुफिया एजेंसियों ने संसदीय समिति को बताया कि भारत विरोधी तत्व सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक वीडियो, फर्जी समाचार और प्रचार सामग्री का उपयोग कर रहे हैं, जिससे सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है. उदाहरण के लिए हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 40 सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई की थी, जो राष्ट्र-विरोधी सामग्री फैला रहे थे. इसके अलावा गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान और नेपाल की सीमा से सटे राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी प्रचार पर कड़ी निगरानी रखें.
इस रणनीति के तहत सीबीआई, एनआईए और राज्य पुलिस एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाएगी. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) जैसे मौजूदा ढांचे को और मजबूत किया जाएगा, ताकि साइबर अपराधों और डिजिटल प्रचार के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा सके. यह नीति न केवल भारत विरोधी कंटेंट को रोकने में मदद करेगी, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास भी करेगी.

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