‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…’ यह बॉलीवुड का क्लासिक गाना पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के रिश्ते का परफेक्ट डिस्क्रिप्शन है. डोनाल्ड ट्रंप भले ही इस दोस्ती से नाखुश हों, मगर पीएम मोदी अपने रुख पर अडिग हैं. वह यह कि भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली शख्स के साथ दोस्ती बढ़ाने के लिए अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी से संबंध यानी रिश्ते नहीं तोड़ेगा.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘ऐसे समय में जब दुनिया चाहती है कि रूस यूक्रेन में हत्याएं रोके, वे (भारत) चीन के साथ-साथ रूस के सबसे बड़े ऊर्जा खरीदार हैं. उन्होंने रूस के साथ लेन-देन के लिए भारत को जुर्माने की धमकी दी है.
हाल ही में खबर आई कि भारतीय कंपनियों ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने तुरंत इसे सकारात्मक कदम बताया और सराहा. मगर भारत ने जल्द ही स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है. भारतीय तेल रिफाइनरियां अभी भी रूसी आपूर्तिकर्ताओं से तेल खरीद रही हैं.
हालांकि जुलाई में तेल की आपूर्ति में थोड़ी कमी आई है, लेकिन ये फैसले कीमत, कच्चे तेल की गुणवत्ता, स्टॉक, रसद और अन्य आर्थिक कारकों से प्रभावित हैं. स्पष्ट रूप से भारत-रूस संबंध अभी भी कायम रहेंगे.
क्यों और नाराज होंगे ट्रंप
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर इसी महीने रूस की यात्रा कर सकते हैं. इससे डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी और बढ़ सकती है.
भारत रूस से एस-400 डिफेंस सिस्टम और संभवतः Su-57 लड़ाकू विमान भी चाहता है. ट्रंप ने भारत को अमेरिकी F-35 बेचने की कोशिश की है, लेकिन पीएम मोदी ने अभी तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद को बताया कि F-35 खरीदने के बारे में अमेरिका के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है.
भारत-रूस की दोस्ती पुरानी
केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि भारत और रूस के बीच एक स्थिर और टाइम टेस्टेड साझेदारी है. विदेश मंत्रालय ने अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका को संबोधित करते हुए कहा, ‘विभिन्न देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध अपने आप में महत्वपूर्ण हैं और इन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.’
ये कड़े शब्द भारत-रूस मित्रता को रेखांकित करते हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी आने वाले महीनों में भारत आने वाले हैं, जो 2021 के बाद उनका पहला दौरा होगा. स्पष्ट रूप से भारत रूस के साथ अपनी मित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे ट्रंप काफी निराश हैं.
नाराजगी की एक और वजह
ट्रंप एक और वजह से भी नाराज हैं. वह है- ट्रेड डील में रुकावट. पीएम मोदी ने उनके खिलाफ मजबूती से खड़ा होकर व्यापार रियायतें देने से इनकार कर दिया है और दबाव में नहीं आए हैं. यह सब 7 अगस्त से भारतीय आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बावजूद है.
ट्रंप को भारत का संदेश स्पष्ट है कि भारत-अमेरिका संबंधों ने कई चुनौतियों और बदलावों का सामना किया है. भारत पीछे हटने वाला नहीं है.
अमेरिका को रियायत नहीं
टॉप सरकारी सूत्रों ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कोई रियायत नहीं दी जाएगी, अमेरिकी कंपनियों के लिए डेयरी उद्योग नहीं खोला जाएगा, और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों या बीफ आधारित डेयरी उत्पादों को भी अस्वीकार कर दिया जाएगा. भारत के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है. यह एक महत्वपूर्ण मतदाता आधार भी है.
भारत 25 प्रतिशत टैरिफ से होने वाले 0.2 प्रतिशत जीडीपी नुकसान को झेलने के लिए तैयार है. और इसे प्रबंधनीय और न्यूनतम मानता है. भारत सितंबर या अक्टूबर तक एक छोटे समझौते पर हस्ताक्षर होने का धैर्यपूर्वक इंतजार करेगा. तब तक ध्यान मजबूती से खड़े रहने और कुछ अरब डॉलर के लिए मुख्य हितों से समझौता न करने पर है.मझौता न करने पर है.