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चीन के ‘आंगन’ का सबसे बड़ा खिलाड़ी, ब्रह्मोस मिसाइल का पहला खरीदार, साउथ चाइना सी में भारत का स्‍पेशल पार्टनर

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भारत और फिलीपींस के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं. बायलेटरल ट्रेड के साथ ही रक्षा संबंध भी लगातार स्‍ट्रॉन्‍ग हो रहे हैं. दोनों देशों के बायलेटरल रिलेशन की मजबूती को इसी से समझा जा स‍कता है, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सबसे पहले फिलीपींस को ही बेचा गया. मनीला ने अन्‍य इंडियन डिफेंस प्रोडक्‍ट को खरीदने में अपना इंट्रेस्‍ट दिखाया है. द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देने के लिए फिलीपींस के राष्‍ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस चार दिनों की यात्रा पर भारत पहुंचे हैं. इंडो-पैसिफिक रीजन में फिलीपींस भारत का बड़ा रणनीतिक साझेदार है. फिलीपींस का चीन के साथ साउथ चाइना सी में अधिकार क्षेत्र को लेकर लगातार टकराव चलता रहता है. चीन दक्षिण चीन सागर को अपना कोर्टयार्ड यानी आंगन मानता है और पूरे क्षेत्र पर अपना दावा ठोकता है. फिलीपींस के प्रतिरोध में भारत मनीला का साथ देता रहा है. भारत और फिलीपींस की नेवी साउथ चाइना सी में मिलिट्री एक्‍सरसाइज भी कर रही है, जिससे दोनों देशों के आपसी संबंधों की मजबूती को समझा जा सकता है.
भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय संबंध लगातार मजबूती की ओर बढ़ रहे हैं. दोनों देशों ने हाल के वर्षों में न सिर्फ अपने रक्षा और रणनीतिक सहयोग को विस्तार दिया है, बल्कि व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी साझेदारी को नया आयाम देने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं. भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग हाल के दिनों में विशेष रूप से चर्चा में रहा है. वर्ष 2022 में भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली की पहली बड़ी निर्यात डील फिलीपींस के साथ की थी. इस सौदे की कीमत करीब 375 मिलियन डॉलर आंकी गई थी, जिसके तहत भारतीय डिफेंस कंपनियां फिलीपींस को तीन बैटरियों के साथ मिसाइल प्रणाली आपूर्ति कर रही हैं. यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ नीति और रक्षा निर्यात को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

मनीला स्थित भारतीय दूतावास की वेबसाइट के अनुसार, मार्कोस से पहले फिलीपींस के चार राष्‍ट्रपति भारत की यात्राएं कर चुके हैं. राष्ट्रपति फर्डिनेंड ई. मार्कोस द्वारा 1976 में, राष्ट्रपति फिदेल रामोस द्वारा 1997 में, राष्ट्रपति ग्लोरिया मैकापगल अरोयो द्वारा 2007 में, और राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते द्वारा जनवरी 2018 में. अब मार्कोस (जूनियर) नई दिल्‍ली पहुंचे हैं. भारत की ओर से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1981 में उसके बाद राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने 1991 में, राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2006 में और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2007 में फिलीपींस का दौरा किया. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 2019 में फिलीपींस का दौरा किया.
भारत और फिलीपींस के बीच व्यापारिक रिश्ते भी सुदृढ़ हो रहे हैं. फिलीपींस, भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक अहम स्तंभ है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2024 में लगभग 3 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. आईटी, फार्मास्युटिकल्स, ऑटोमोबाइल और कृषि क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएं बढ़ी हैं. भारत की कई कंपनियां फिलीपींस में निवेश कर रही हैं, जबकि मनीला भी भारतीय निवेश को प्रोत्साहित कर रहा है. डिजिटल क्षेत्र, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है. इसके अलावा भारत और फिलीपींस के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध भी गहरे होते जा रहे हैं. दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ा है. फिलीपींस में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र खासकर मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं. साथ ही भारतीय दूतावास विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और योग दिवस जैसे आयोजनों के माध्यम से आपसी सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती दे रहा है.

स्‍ट्रैटज‍िक पार्टनरशिप
भारत और फिलीपींस ने 2023 में अपने संबंधों को स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप के स्तर तक ले जाने पर चर्चा की थी, जिसे अगले कुछ वर्षों में औपचारिक रूप से अपनाए जाने की संभावना है. दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हितों को देखते हुए बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को और मजबूत कर रहे हैं. भारत और फिलीपींस के संबंध अब पारंपरिक सहयोग से आगे बढ़ते हुए रणनीतिक, रक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में गहराई पा रहे हैं. बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच यह साझेदारी न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बल्कि भारत की पूर्वी नीति और फिलीपींस की विदेश नीति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण बन चुकी है.

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